पंजाब दौरे के दौरान पीएम की सुरक्षा में हुई चूक के मामले पर उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के मुताबिक सुरक्षा खामियों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन होगा। कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले को लेकर जल्द ही आदेश जारी किया जाएगा।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार द्वारा अलग-अलग समितियों के द्वारा की जा रही जांच पर भी रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार की कार्यवाही पर सवाल भी उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से किए कई सवाल
वहीं सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एम वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि अगर केंद्र सरकार पहले से ही कारण बताओ नोटिस में लिखा कुछ भी मानने को तैयार नहीं है, तो कोर्ट में आने का क्या मतलब है? यदि कारण बताओ नोटिस पूरी तरीके से विरोधाभासी है? और अगर आप समिति गठन कर कर पूछताछ करना चाहते हैं कि क्या एसपीजी अधिनियम लागू हुआ था या नहीं? और फिर आप राज्य के मुख्य सचिव और डीजी को दोषी मानते हैं। आखिर उन्हें दोषी ठहराया किसने? क्या उनकी किसी ने सुनी?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि जब आपने नोटिस जारी किया तो यह हमारे आदेश से पहले था इसके बाद हमने अपना आदेश पारित किया। आपसे इसके लिए 24 घंटे में जवाब मांगा गया था यह शायद आपसे अपेक्षित नहीं है। आप कोर्ट में पहले से ही मन बना कर आए हैं। आपके द्वारा पेश की गई दलीले बताते हैं कि सब कुछ पहले से ही तैय किया हुआ है। तो फिर आप यहां कोर्ट में क्यों आए हैं? जब आप पहले ही अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्यवाही शुरू कर चुके हैं तो फिर केंद्र सरकार आखिर हमसे कैसा आदेश चाहती है?
पंजाब सरकार की मांग स्वतंत्र समिति का जाँच
वही सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा की, पंजाब सरकार को 7 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। जब उन्हें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं मिला और कमेटी की जांच पर रोक लगा दी गई है, तो फिर कारण बताओ नोटिस का क्या औचित्य है?
वकील ने कहा कि हमें केंद्र की कमेटी की जांच पर भरोसा नहीं है ऐसे कोर्ट अपनी ओर से एक नई कमेटी का गठन करें। यदि सुप्रीम कोर्ट चाहता है तो जांच के लिए अलग-अलग कमेटी का गठन कर दें और हम उस कमेटी का सहयोग करेंगे। लेकिन हमारी सरकार और हमारे अधिकारियों पर निराधार कोई आरोप ना लगाया जाए।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की ये दलील
वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा की पंजाब सरकार को यह नोटिस सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले जारी किए गए थे। पंजाब सरकार के मन में भ्रांतियां हैं इसमें कोई दो राय नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया के पालन में गड़बड़ी हुई है। ऐसे में इस पर कोई विवाद हो ही नहीं सकता। साथ ही यह तथ्य भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि पीएम की सुरक्षा में चूक और लापरवाही हुई है। ऐसे भी साफ है कि सुरक्षा का इंतजाम राज्य पुलिस महानिदेशक की देखरेख में स्थानीय पुलिस द्वारा की जाती है इसमें इंटेलिजेंस ई डायरेक्टर और सीआईडी समेत कई विभाग इनपुट का योगदान भी रहता है।