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ISRO चंद्रयान-2 मिशन की बड़ी उपलब्धि: चांद पर पानी के मॉलिक्यूल और हाइड्रॉक्सिल की मौजूदगी की पुष्टि

isro 1 ISRO चंद्रयान-2 मिशन की बड़ी उपलब्धि: चांद पर पानी के मॉलिक्यूल और हाइड्रॉक्सिल की मौजूदगी की पुष्टि

ISRO के चंद्रयान-2 की एक बढ़ी सफलता हासिल हुई है। लगाता नई – नई जानकारियां सामने आ रही हैं।

चांद पर मिला पानी !

मिली जानकरी के अनुसार यह पता चला है कि चांद की सतह पर हाइड्रॉक्सिल और वाटर मॉलिक्यूल्स यानि कि पानी के अणु मौजूद हैं। वैज्ञानिकों ने चांद की खनिज सरंचना को समझने के लिए ऑर्बिटर के इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से मिले आंकड़ों का अध्ययन किया। इससे चांद की सतह पर पानी मौजूद होने के संकेत सामने आए हैं।

जुलाई, 2019 में किया था लॉन्च

आपको बता दें कि चंद्रयान-2 मिशन को जुलाई, 2019 में लॉन्च किया गया था। यह भारत की चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश थी। इसके तहत एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को भेजा गया था । लेकिन लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले लैंडर का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद उससे संपर्क की सारी कोशिशें बेकार हुई। भले ही भारत चांद की सतह पर नहीं उतर पाया। लेकिन उसने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल कर लीं जो आगामी मिशन में सहायता करेंगी। अब ऑर्बिटर नई खोजों की ओर अग्रसर है जो वर्तमान में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। ऑर्बिटर से चांद की सतह पर हाइड्रॉक्सिल और पानी के अणुओं का पता चला है।

वैज्ञानिकों ने दी जानकारी

देहरादून में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा पर हाइड्रॉक्सिल और पानी का निर्माण अंतरिक्ष के अपक्षय की वजह से होता है, जो चंद्र सतह के साथ सौर हवाओं की बातचीत की प्रक्रिया है। यह प्रभाव की घटनाओं के साथ संयुक्त रूप से रासायनिक परिवर्तनों की तरफ ले जाता है, जो आगे प्रतिक्रियाशील हाइड्रॉक्सिल अणुओं के निर्माण को ट्रिगर करता है। जबकि ISRO को चंद्रयान -1 के साथ चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए जाना जाता है।

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