‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख और प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरी की अचानक हुआ मौत से सियासी बबाल भी अब उठता नजर आ रहा है।
फिर किसने लिखा आठ पन्नों का सुसाइड नोट?
उनकी मौत का मामला उलझता ही जा रहा है।अगर नहीं लिख पाते थे नरेंद्र गिरी तो आठ पन्नों का सुसाइड नोट आखिर फिर किसे लिखा? इस पर कई सवाल सामने आ रहे हैं। बता दें कि मठ में रहने वाले सेवादारों और शिष्यों भी शक के घेरे में नजर आ रहे हैं।
आपको बता दें कि एक शिष्य बबलू ने पूछताछ में बताया कि रविवार 19 सितंबर, 2021 को महंत नरेंद्र गिरी ने गेहूँ में रखने के लिए सल्फास की गोलियाँ मंगवाई थीं।
कमरे में सल्फास की डिब्बी मिली, जो पैक थी। वहीं एक और शिष्य का कहना है कि महंत ने दो दिन पहले ये कहकर नायलॉन की नई रस्सी मँगाई थी कि कपड़े टाँगने में उन्हें परेशानी होती है। और इसी रस्सी से महंत नरेंद्र गिरी का शव लटका मिला था।
एक और शिष्य सुमित ने महंत जी का शव फँदे से उतारा था। महंत नरेंद्र गिरि हर रोज शाम को 5 बजे चाय पीने के लिए कमरे से बाहर आते थे। जब सवा 5 बजे तक दरवाजा नहीं खुला, तो उन्होंने दरवाजा खटखटाय । दरवाजा न खुलने पर फोन किया गया, मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
फिर दरवाजे को धक्का देकर अंदर जाने पर लोगों ने देखा कि उनका शव फँदे पर लटक रहा था। जिसके बाद रस्सी को काट कर शव को फँदे से नीचे उतारा गया। और फिर पुलिस को इस घटना की जानकारी दी गयी।
बाघंबरी मठ में 12 से अधिक CCTV कैमरे लगे हुए हैं। उसे खँगाला जा रहा है। वहाँ से कोई सुराग हाथ लगने का अनुमान है। शिष्यों का ये भी कहना है कि लेटे हनुमान जी मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी से दो दिन पहले किसी बात को लेकर उनकी कहासुनी भी हुई थी।
फ़िलहाल वो हिरासत में हैं। महंत नरेंद्र गिरी के साथ सुरक्षा का तगड़ा बंदोबस्त रहता था, जिसमें उनके शिष्यों के अलावा सरकार द्वारा तैनात गार्ड्स भी रहते थे।
मठ में तीन बुलेटप्रूफ गाड़ियाँ हैं, जिनसे वो निकला करते थे। ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बाद भी उनकी मौत कैसे हुई। इसके अलावा एक सवाल जो हर किसी के मन में जो लोग जानना चाहते हैं कि अगर महंत नरेंद्र गिरी ठीक से लिखना नहीं जानते थे तो ये आठ पन्नों का सुसाइड नोट आखिर किसने लिखा।