राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने (124वें संविधान संशोधन विधेयक 2019) को ऐतिहासिक बताया है। क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ कि सामान्य वर्ग से संबंधित अल्पसंख्यक समुदायों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैय्यूरुल हसन रिज़वी ने आज कहा कि आयोग संसद में यह विधेयक पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करता है।
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माना जाता है कि यह विधेयक सामान्य वर्ग से संबंधित अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के एक बड़े वर्ग के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। सैयद गैय्यूरुल हसन रिज़वी और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अन्य सदस्यों ने यह उम्मीद जाहिर की है। यह विधेयक लक्षित लाभार्थियों के लिए लाभदायक होगा और उनके बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
हालांकि सवर्ण आरक्षण से जुड़े संविधान संशोधन बिल के संसद में पास होने के एक दिन बाद ही मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। दरअसल आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन बिल के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। संसद से इस बिल को मंजूरी मिलने के अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट में एक संगठन ने याचिका दायर कर चुनौती दी है।
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बता दें कि ‘यूथ फॉर इक्वैलिटी’ नाम के संगठन की याचिका में संविधान संशोधन को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया है। जनरल कोटा को चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि आर्थिक मापदंड आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है।
याचिका में इसे संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ बताया गया है। संगठन ने जनरल कोटा को समानता के अधिकार और संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ कहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान ‘नागराज बनाम भारत सरकार’ मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के भी खिलाफ है।