14 दिसंबर को हर साल, पूरे भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है. राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को उर्जा दक्षता और संरक्षण के बारे में जागरुक करना है.
इसी मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट किया और लिखा- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस ऊर्जा संरक्षण एवं वैकल्पिक स्रोतों को प्रोत्साहन देने एवं जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से निर्धारित किया गया है. हमारी सरकार ने इसी क्रम में राज्य में पिरूल से बिजली उत्पादन और सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना की शुरुआत की है.
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस ऊर्जा संरक्षण एवं वैकल्पिक स्रोतों को प्रोत्साहन देने एवं जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से निर्धारित किया गया है।
हमारी सरकार ने इसी क्रम में राज्य में पिरूल से बिजली उत्पादन और सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना की शुरुआत की है। pic.twitter.com/W1a0Pj3Plt
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) December 14, 2020
ऊर्जा संरक्षण क्या है?
भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा का महत्व बताने के लिये मनाया जाता है. लोगों को ये समझाया जाता है कि ऊर्जा को संरक्षित करना कितना जरूरी है. लेकिन ऊर्जा के संरक्षण का असली मतलब है ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग न करना. क्योंकि अगर हम आज सही तरीके से ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे तभी भविष्य के लिये ऊर्जा हमें मिल पाएगी.
कैसे हुई इस दिन की शुरुआत?
भारत में पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान एसोसिएशन वर्ष 1977 में भारत सरकार द्वारा भारतीय लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था. ये ऊर्जा का संरक्षण महान स्तर पर करने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाया गया बहुत बड़ा कदम है. बेहतर ऊर्जा कुशलता और संरक्षण के लिए भारत सरकार ने एक अन्य संगठन ऊर्जा दक्षता ब्यूरों को भी 2001 में स्थापित किया गया.
भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा लागू किया गया था. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के अधीन आता है और ऊर्जा के उपयोग को कम करने के लिए नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है.