नई दिल्ली। पिछड़े वर्ग के सशक्तिकरण को लेकर काफी समय से चर्चा में रहने वाला OBC बिल आज राज्यसभा में पारित हो चुका है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को सोमवार को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा में इससे संबंधित संविधान (123वां संशोधन) विधेयक पारित कर दिया। लोकसभा से इसे पहले ही पारित कराया जा चुका है। सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इससे पिछड़े वर्ग का सशक्तिकरण होगा और आयोग की शक्तियां भी बढ़ेंगी। जानें क्या है राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और इसके काम किया है।
पिछड़ी जातियों की समस्याओं का निपटारा
ये आयोग सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए है। इस आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे। इसमें कम से कम एक महिला होगी। आयोग एक स्वायत्त संस्था के तौर पर काम करेगा। ये आयोग पिछड़े वर्गों से जुड़ी शिकायतों की जांच करेगा। अब पिछड़ी जातियों की समस्याओं का निपटारा हो सकेगा। इस आयोग का गठन 1993 में किया गया था।ओबीसी तबके में जातियों को जोड़ने या हटाने के लिए राज्यपाल से परामर्श लेने का प्रस्ताव हटा। अब राज्य सरकारों से ही परामर्श लेने का प्रावधान।
I’d like to congratulate PM Modi on behalf of people from backward classes &BJP workers.Since ’55 people from backward class were longing for constitutional acknowledgement,but nobody paid heed to it:A.Shah on National Commission for Backward Classes(Repeal)Bill,2017 passed in RS pic.twitter.com/7i1u7iT0NX
— ANI (@ANI) August 6, 2018
ओबीसी के उत्थान को लेकर बनने वाली योजनाओं में आयोग की भूमिका में भी बदलाव। आयोग सलाहकार नहीं बल्कि भागीदार की भूमिका में होगा। आयोग पिछड़े वर्गो के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भाग लेगा और सलाह देगा।
थावरचंद गहलोत ने कहा कि राज्य अपने लिए ओबीसी जातियों का निर्णय करने के बारे में स्वतंत्र हैं। यदि राज्य किसी जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करना चाहते हैं तो वे सीधे केंद्र या आयोग को भेज सकते हैं।
ये भी पढ़ें-
नीति आयोग का बयान, बिहार और यूपी के कारण होती है भारत की पिछड़े देशों में गिनती