अफगानिस्तान पर जब से तालिबान का कब्जा हुआ है तब से वहां हर रोज नई – नई खबरें सामने आ रही हैं। हर कोई वहां से निकलना चाहता है ताकि तालिबान से बचा जा सके।
चीन और रूस ने दिया साथ
तालिबान के कब्जे के बाद से चीन और रूस ने विद्रोही संगठन से दोस्ती का ऐलान कर दिया है। चीन ने कहा कि वह तालिबान के साथ दोस्ताना रिश्ता विकसित करना चाहता है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने दी जानकारी
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया से कहा, ‘चीन अफगानिस्तान के लोगों के स्वतंत्रतापूर्वक अपनी तकदीर चुनने के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना और सहयोगपूर्ण रिश्ते विकसित करना जारी रखना चाहता है।’
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रूस ने भी तालिबान से की दोस्ती !
चीन के अलावा रूस ने भी तालिबान की सरकार को मान्यता देने के संकेत दिए हैं। रूस के राजदूत तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने वाले हैं और इसके बाद इस पर फैसला हो सकता है। इस बीच ब्रिटेन ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि तालिबान की सरकार को मान्यता न दी जाए।
चीन ने तालिबान का किया स्वागत
चीन ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ रिश्तों को मजबूती देने के मौके का इसने स्वागत किया है। चीनी प्रवक्ता ने कहा ‘तालिबान ने बार-बार चीन के साथ अच्छे रिश्ते की उम्मीद जाहिर की है और वे अफगानिस्तान के विकास और पुर्ननिर्माण में चीन की सहभागिता को लेकर आशान्वित हैं। हम इसका स्वागत करते हैं।’
तालिबान से चीन की हुई डील
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के दौरान बीजिंग ने तालिबान के साथ अनौपचारिक संबंध बनाए रखने की इच्छा जाहिर की थी। चीन की 76 किलोमीटर सीमा अफगानिस्तान से मिलती है। हालांकि तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी और उनसे वादा किया था कि अफगानिस्तान को आतंकियों के बेस के रूप में इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। बदले में चीन ने आर्थिक सहयोग और निवेश का भरोसा दिलाया।