अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब वहां के हालात कैसे हैं ये किसी से छुपा नहीं है। तालिबान की क्रूरता की अब हकीकत भी सामने आने लगी है। अफगानिस्तान की महिला पत्रकार ने तालिबान की क्रूरता का सच दुनिया के सामने रखा है।
अफगानिस्तान की महिला पत्रकार का छलका दर्द
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद तालिबानी संगठन खुद को अफगानिस्तान का हुकमरान बता रहा है। इसके साथ ही तालिबानी नेता दुनिया से यह अपील कर रही हैं कि उन्हें मान्यता दी जाए। वहीं तालिबानी नेता ये भी दावा कर रहे हैं कि महिलाओं को पूरी आजादी दी जाएगी। उन्हें काम करने से रोका नहीं जाएगा। लेकिन तालिबानी नेताओं के बयानों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। अफगानिस्तान की महिला पत्रकार शबनम ने तालिबानियों की क्रूरता की पोल खोल दी है।
‘अफगानिस्तान में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं’
तालिबान का क्रूर चेहरा एक बार फिर, धीरे ही सही लेकिन दुनिया को देखने को मिल रहा है। दो दिन पहले ही एक वीडियो फुटेज में एक व्यक्ति को सरेआम फांसी देते हुए दिखाया गया था। निहत्थे अफगानियों पर भी तालिबान ने एक दिन पहले गोली चलाई थी। महिलाओं को लेकर जिस तरह के बयान तालिबान दे रहा था अब उसकी भी पोल खुल गई है। शबनम खान दावरान नाम की पत्रकार ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि अफगानिस्तान में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। शबनम रेडियो-टीवी अफगानिस्तान में काम करती हैं। लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद जब वो अपने काम पर वापस गईं तो उन्हें वहां मौजूद तालिबानी आतंकियों ने अंदर नहीं जाने दिया।
दफ्तर में जाने और काम करने की इजाजत नहीं- शबनम
शबनम ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि तालिबान ने उन्हें आरटीए के दफ्तर में जाने और काम करने की इजाजत नहीं दी। शबनम अपने काम पर वापस जाना चाहती हैं लेकिन अफसोस की बात है कि वो ऐसा करने से मना कर रहे हैं। जो तालिबान महिलाओं को काम करने की इजाजत देने की बात कहते हैं। उसी तालिबान की पोल खोलते हुए शबनम ने बताया कि उनके काम करने पर अभी कोई फैसला नहीं किया है। इसलिए वो फिलहाल काम नहीं कर सकती हैं।
तालिबानियों की क्रूरता के सबूत ही सबूत
शबनम की तरह ही ऐसी कई महिलाएं हैं जिनकी जिंदगी अब पूरी तरह से बदल चुकी है। तालिबानियों की क्रूरता से बचने के लिए कई महिलाएं देश छोड़कर भाग गई हैं। महिलाओं के साथ सलीके से पेश आने की बात कहने वाले तालिबानी नेता भले ही खुद को आवाम का हितैषी बता रहे हैं। लेकिन उनकी इस बात पर यकीन करना ठीक वैसा ही होगा जैसे अमावस में चांद का इंतजार करना।