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नथूराम गोडसे को आज के ही दिन हुई थी फांसी,जानें क्या थी गांधी की हत्या की वजह

गोडसे नथूराम गोडसे को आज के ही दिन हुई थी फांसी,जानें क्या थी गांधी की हत्या की वजह

नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या के अपराध में 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गयी थी। फांसी के दौरान गोडसे ने अपना अपराध कबूलते हुए गाधी की के देश में योगदान को भी बताया। गोडसे ने कहा कि गांधी की हत्या से पहले मैनें गांधी को शीश झुकाया था और उनका सम्मान करता था किन्तु उनको देश को बांटने का को कोई हक नहीं था। गोडसे ने कहा गांधी ने देश की आजादी के लिए काफी कठिनाइयों का सामना किया है। लेकिन उनसे भी ज्यादा आजादी के लिए संघर्ष करने वाले भी देश के कई महापुरुष हैं।

 

गोडसे नथूराम गोडसे को आज के ही दिन हुई थी फांसी,जानें क्या थी गांधी की हत्या की वजह

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नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे ने अपनी किताब ‘गांधी वध और मैं’ के अन्दर गोडसे के बारे में लिखा है कि “जब गोडसे संसद मार्ग थाने में बंद थे तो सीखचों (खिड़की) के पीछे खड़े गोडसे को देखने कई लोग वहां पहुंचते थे। किताब में लिखा है कि एक बार सीखचों के बाहर खड़े एक व्यक्ति से नथूराम की आखें मिलीं। नथूराम ने कहा, “मैं समझता हूं आप देवदास गांधी हैं।” गांधी के पुत्र ने जवाब दिया। हां, आप कैसे पहचानते हैं ?

 

नथूराम गोडसे को आज के ही दिन हुई थी फांसी,जानें क्या थी गांधी की हत्या की वजह
नथूराम गोडसे को आज के ही दिन हुई थी फांसी,जानें क्या थी गांधी की हत्या की वजह

गोडसे ने गांधी पुत्र देवदास से उनके पिता की हत्या पर खेद प्रकट किया था

नाथूराम गोडसे ने गांधी पुत्र देवदास से उनके पिता की हत्या पर खेद प्रकट किया था।इसका जिक्र नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे द्वारा लिखित किताब “गांधी वध और मैं”,में विस्तार से किया गया है।जिसका उल्लेख नीचे किया गया है।गोपाल ने अपनी किताब में लिखा है,”नाथूराम गोडसे ने कहा कि ‘मैंने आपको एक संवाददाता सम्मेलन में देखा था”। आप आज पितृविहीन हो चुके है और उसका कारण बना हूं मैं। आप पर और आपके परिवार पर जो वज्रपात हुआ है उसका मुझे खेद है। लेकिन आप विश्वास करें, किसी व्यक्तिगत शत्रुता की वजह से मैंने ऐसा नहीं किया है।’

देवदास गांधी का नाथूराम गोडसे को पत्र

देवदास गांधी ने नथूराम को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि ”आपने मेरे पिता की ‘नाशवान देह’ का ही अंत किया है और कुछ नहीं। इसका ज्ञान आपको एक दिन होगा क्योंकि मुझ पर ही नहीं संपूर्ण संसार के लाखों लोगों के दिलों में उनके (गांधी) के विचार अभी तक विद्यमान हैं और हमेशा रहेंगे।” गोपाल गोडसे किताब में आगे लिखा है, “अंबाला जेल में नथूराम और आप्टे को बी श्रेणी दी गई थी। नथूराम कॉफी पीने के शौकीन थे और जासूसी नॉवेल पढ़ने के भी। वो छुरी-कांटे से खाना पसंद करते थे लेकिन जेल में इस तरह की सुविधा नहीं मिली थी।”

हिमानी सावरकर एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू

गौरतलब है कि 15 नवंबर 1949 को जब गोडसे को फांसी दी जा रही थी उससे एक दिन पहले उनके परिजन गोडसे से मिलने अंबाला जेल पहुंचे। उनमें से एक थीं गोडसे की भतीजी और गोपाल गोडसे की पुत्री हिमानी सावरक।बता दें कि अक्टूबर, 2015 में हिमानी का निधन हो गया था।

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हिमानी सावरकर एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में नाथूराम गोडसे को याद करते हुए कहा था, “ताऊजी की फांसी से एक दिन पहले मैं अपनी मां के साथ उनसे मिलने अंबाला जेल गई थी। उस समय मेरी उम्र सिर्फ ढाई साल थी। मुझे वहीं भूख लगी,मैं मां से कहने लगी कि मुझे कुछ खाने को चाहिए। मुझे स्मरण है कि मेरे सामने एक हाथ बढ़ा था। उनके हाथों में लड्डू और नीले रंग के गिलास में दूध था। बाद में मैंने अपनी मां से पूछा था कि किसने मुझे वो लडडू दिया था तो मेरी मां ने बताया था कि वो मेरे ताऊ नाथूराम गोडसे थे।”

अल्बर्ट आइंस्टीन के गांधी के बारे में विचार

आपको बता दें कि महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को यकीन ही नहीं होगा कि हाड़-मांस का ये व्यक्ति कभी पृथ्वी पर चला भी होगा। 30 जनवरी 1948 को शाम पांच बजकर पंद्रह मिनट पर जब गांधी लगभग भागते हुए बिरला हाउस के प्रार्थना स्थल की और जा रहे थे, तो उनके स्टाफ के एक सदस्य गुरबचन सिंह ने अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए कहा था, “बापू आज आपको थोड़ी देर हो गई।” गांधी ने चलते-चलते ही हंसते हुए जवाब दिया था, “जो लोग देर करते हैं उन्हें सजा मिलती है।” दो मिनट बाद ही नथूराम गोडसे ने अपनी बेरेटा पिस्टल की तीन गोलियां महात्मा गांधी क ऊपर चला दीं और गांधी की मौत हो गई।

‘अंजाम’ अखबार  किया था गांधी हत्याकांड

मालूम हो कि मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या की घटना को कवर करने ‘अंजाम’ अखबार के पत्रकार कुलदीप नैयर मोटर साइकिल से बिरला हाउस पहुंचे थे। मिली जानकारी के मुताबिक कुलदीप कहते हैं, “जब मैं विरला हाउस पहुंचा तो वहां कोई सिक्योरिटी नहीं थी। बिरला हाउस का गेट हमेशा की तरह खुला था। उस समय मैंने जवाहरलाल नेहरू को देखा। सरदार पटेल को देखा। मौलाना आजाद कुर्सी पर बैठे हुए गमगीन थे।माउंटबेटन मेरे सामने ही आए। उन्होंने आते ही गांधी के पार्थिव शरीर को सैल्यूट किया।

माउंटबेटन को देखते ही एक व्यक्ति चिल्ला कर बोला ‘गांधी को एक मुसलमान ने मारा है’। माउंटबेटन ने गुस्से में जवाब दिया- ‘यू फूल, डोन्ट यू नो, इट वॉज ए हिंदू!’ नैयर ने कहा है कि उस दौरान मैने महसूस किया किया कि आज हमारे उपर से किसी का सहारा नहीं रहा।

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 महेश कुमार यादव

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