शख्सियत featured मनोरंजन

नरगिस दत्त-चाइल्ड आर्टिस्ट से पद्मश्री तक का सफर

10 27 नरगिस दत्त-चाइल्ड आर्टिस्ट से पद्मश्री तक का सफर

नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्री नरगिस दत्त किसी पहचान की मोहताज नहीं है। हिंदी सिनेमा को शुरूआती दौर में जिन अभिनेत्रियों ने एक अलग उंचाई दी है उनमें से एक नाम नरगिस दत्त भी है जो अपने समय की खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक थी। 3मई को नरगिस की पुण्यतिथि होती है। आज हम उनकी पुण्यतिथि के दिन आपको उनके जीवन से जुड़े कई राज बताने वाले है।  नरगिस आज भी अपने अभिनय के लिए याद की जाती हैं। उनके अभिनय का जादू कुछ ऐसा था कि साल 1968 में बेस्ट एक्ट्रेस के लिए पहले फ़िल्मफेयर अवॉर्ड में उन्हें ही चुना गया।

10 27 नरगिस दत्त-चाइल्ड आर्टिस्ट से पद्मश्री तक का सफर

बेबी के नाम से हुई मशहूर

यू तो नरगिस के बचपन का नाम फातिमा राशिद था जिनका जन्म 1 जून 1929 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर में हुआ था। नरगिस के पिता उत्तमचंद मोहनदास एक जाने-माने डॉक्टर थे। उनकी मां जद्दनबाई मशहूर नर्तक और गायिका थी। नरगिस की मां ही वो सख्सियत थी जिनकी वजह से नरगिस फ़िल्मों से जुड़ीं और हिंदी सिनेमा में अपना करियर बनाया। नरगिस ने अपने करियर की शुरूआत फिल्म ‘तलाश-ए-हक’ से की जिसमें उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के रुप में काम किया उस समय नरगिस की उम्र महज 6साल की थी। इस फिल्म के बाद नरगिस का नाम बेबी के रुप में सामने आया और बेबी के नाम से उन्होंने कामयाबी की सफलता प्राप्त की।

राजकपूर और नरगिस की नजदीकियां

बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट से अपने करियर की शुरुआत करने वाली नरगिस ने 1940 से लेकर 1950 के बीच नरगिस ने कई बड़ी फ़िल्मों में काम किया। जैसे ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘दीदार’ और ‘श्री 420’। राजकपूर के दौर में नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फ़िल्में की और ज़्यादातर फ़िल्मों ने सफलता प्राप्त की और फिल्मों में साथ काम करते करते दोनों के बीच की नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया।

फिल्म के लिए बेचीं सोने की चूड़ियां

नरगिस हिंदी सिनेमा के वो हिरोइन है जिसने फिल्म के लिए अपनी सोने की चूड़ियां तक बेच दी थी। दरअसल “जब बरसात बन रही थी, नरगिस पूरी तरह से राज कपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं। यहां तक कि जब स्टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नरगिस ने अपनी सोने की चूड़ियां तक बेचीं। उन्होंने दूसरे निर्माताओं की फ़िल्मों में काम करके आर.के फ़िल्म्स की खाली तिजोरी को भरने का काम किया।”

11 26 नरगिस दत्त-चाइल्ड आर्टिस्ट से पद्मश्री तक का सफर

इगो की तकरार फिर हुआ ब्रेकअप

दोनों का प्यार परवान चढ़ रहा था कि तभी दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी जो ब्रेकअप पर आकर रुकी। समय अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था। राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए। कहते हैं यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नरगिस इंडिया लौट आईं। 1956 में आई फ़िल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी। हालांकि वादे के मुताबिक राजकपूर की फ़िल्म ‘जागते रहो’ में भी नरगिस ने अतिथि कलाकार की भूमिका निभाई थी।

जन्मदिन विशेषः हिंदी फिल्मों में हिट को बेकरार हैं बाहुबली तमन्ना

सुनील दत्त बना हमसफऱ

राजकपूर से ब्रेकअप के बाद नरगिस ने 1957 में महबूब ख़ान की ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग शुरू की। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई। सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया जिसके बाद दोनों के बीच प्यार का बीज पनपनें लगा और देखते ही देखते दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा और दोनों शादी के बंधन में बंध गए। दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता।

सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के ने कैसे रचा इतिहास

समाज सेविका के रुप में भूमिका

नरगिस ने समाज सेविका के रुप में भी अपनी भूमिका दर्ज की है इसलिए नरगिस को अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका के रुप में जाना जाता था। अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका थीं। इसके अलावा नरगिस राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं।

Related posts

चीन की नाक में दम करने वाला कौन है ये 23 साल का लड़का, जिसने चीन को झूकने पर कर दिया मजबूर..

Mamta Gautam

मध्यप्रदेशः मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

mahesh yadav

चंद्रमा को लेकर आपस में क्यों भिड़े रूस-अमेरिका?

Rozy Ali