- धार्मिक डेस्क, भारत खबर
मेरठ में माता की प्रतिमाओं का वृहद स्वरूप लिए वैसे तो कई मंदिर विराजमान हैं लेकिन नगर निगम स्थित माता दुर्गा का मंदिर एक अलग स्वरूप में विराजमान है और अपने भक्तों का खयाल भी रखतीं हैं।
पुरातन सिद्धपीठ श्री बाबा झाड़खण्डी महादेव नगर निगम, मेरठ जिसमें मां भगवती की अष्टादशो भुजाओं की विशेष मूर्ति स्थापित है। समिति के अध्यक्ष डा. सुबोध गर्ग ने बताया कि जनश्रुति के अनुसार 18वीं शताब्दी के करीब पुरातन सिद्धपीठ में भारी झाड़, कांटेदार झाड़ियां, धतूरे के पौधे भारी मात्रा में फैले थे। माना जाता है कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों के अत्याचार से बचने के लिए क्रांतिकारियों ने इस स्थल को गुप्त कुटिया बनाकर अपनी शरण स्थली बनाया था।
जिसे पंजीकृत समिति द्वारा धीरे-धीरे विशाल रूप दिया गया, मन्दिर में भोले बाबा-पावर्ती सहित विराजमान हैं मन्दिर में महालक्ष्मी, विष्णु जी, रामदरबार, हनुमान जी, संतोषी माता एवं राधाकृष्ण के विग्रह भी स्थापित हैं। मेरठ महानगर में इतने विशाल अष्टादशो भुजाओं वाली देवी की एकमात्रा प्रतिमा मानी जाती है जिसमें भक्तजनों की विशाल श्रद्धा है। वर्ष में होने वाले दोनों नौ दुर्गा नवरात्रों में मन्दिर में भव्य सजावट के साथ-साथ क्लश स्थापना दुर्गापाठ एवं हवन में भक्तजन पूर्ण भक्ति के साथ भाग लेते हैं। मन्दिर में कन्या दिखाने का विशेष प्रबन्ध है क्योंकि माना जाता है कि यहां दिखायी गयी कन्याओं के रिश्ते विवाह सूत्रा में बन्ध जाते हैं।
सिद्धपीठ में 16 सोमवार घृत दीपों से पूजा करने के बाद मनवांछित फल प्राप्त होते हैं। मन्दिर परिसर में नवरात्रों के समय भी देश के प्रख्यात जागणकर्ताओं द्वारा भजन एवं भगवती जागरण का लाभ भी भक्तजन उठाते हैं। मन्दिर में विभिन्न पीठों के शंकराचार्य महामण्डलेश्वर दण्डी महाराज व मनीषी वाचक उपदेशक के साथ-साथ राजनेता, मंत्राीगण, प्रशासनिक अधिकारी भी पधारकर आशिर्वाद प्राप्त कर चुके हैं। वर्तमान में मन्दिर को भव्य स्वरूप देने के लिए दो वर्षीय सौन्दर्यकरण योजना प्रतिदिन प्रगति पर है। माना जा रहा है कि यह प्रथम मन्दिर होगा जिसमें भक्तजनों के लिए लिफ्ट की सुविधा प्रदान की जायेगी।
– अनिल कुमार गुप्ता