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नागपंचमी मनाने के पीछे ये है कारण, ऐसे करें पूजा मिलेगा लाभ

नागपंचमी

नई दिल्ली।  नाग पंचमी हिंदू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इस दिन मुख्य रुप से नागदेवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। हर साल सावन मास के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्‍योहार मनाया जाता है। जो कि इस बार 15अगस्त को पड़ रही है।

नागपंचमी
नागपंचमी

क्या है नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचवी भगवान शिव की उपासना करने वाले भक्तों के लिए काफी महत्व रखती है। भारत में नाग को विशेष रुप से भगवान की उपाधि दी गई है। नाग भगवान शंकर के अंग भूषण माने गए हैं। नागपंचमी के दिन शिवजी के साथ ही नागों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।हिंदू धर्मग्रंथों में नाग को प्रत्येक पंचमी तिथि का देवता माना गया है, परंतु नाग-पंचमी पर नाग की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। नाग-पंचमी का पर्व धार्मिक आस्था व विश्वास के सहारे हमारी बेहतरी की कामना का प्रतीक है।

कैसे होती है पूजा

नागपंचमी की पूजा काफी सरल होती है। इसमें मुख्य रुप से नागो की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह नहाकर सोने, चांदी या तांबे के नाग-नागिन की मूर्ति बनवाएं। उनकी प्राण प्रतिष्ठा करें। फिर धूप, दीप नैवेद्य आदि से पंचोपचार या षोड़शोपचार पूजा करें। सर्पसूक्त से प्रतिष्ठित नाग-नागिन का दूध से अभिषेक करके पूजन करना चाहिए। इसके बाद उनको किसी मंदिर के शिवलिंग पर चढ़ा देना चाहिए। ऐसा न कर पाएं तो धातु के नाग-नागिन को नदी में बहा दें।

कहा जाता है कि अगर किसी कील कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से यह दोष दूर हो जाता है। कालसर्प दोष दूर करने के लिए यह दिन बहुत खास माना जाता है। इस दिन 9 नागों की पूजा और ऊँ नम: शिवाय का जाप करना फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिन रुद्राभिषेक करने से भी कुंडली का कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

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