उत्तराखंड के उत्पादों को ब्रांड बनाने में मदद करेगा नाबार्ड

उत्तराखंड के विकास में अब राष्ट्रीय ग्रामीण और कृषि विकास बैंक (नाबार्ड) भी सहयोग करेगा। नाबार्ड उत्तराखंड के उत्पादों को ब्रांड बनाने में मदद करेगा। नाबार्ड स्थानीय किसानों के लिए कृषि के साथ ही कोल्ड स्टोर, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग आदि में भी सहयोग करेगा।
नाबार्ड के चेयरमैन डॉ जीआर चिंतला ने नाबार्ड मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नाबार्ड किसानों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रहा हैं। उत्तराखंड सरकार इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लेकर किसानों और राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकती हैं।
लोगों को आत्मनिर्भर बना सकती हैं उत्तराखंड सरकार
उन्होंने बताया कि नाबार्ड कृषि, लघु सिंचाई की योजनाओं के लिए बहुत कम ब्याज पर लोन देता हैं। उत्तराखंड सरकार इन योजनाओं का लाभ लेकर अधिक से अधिक लोगों को आत्मनिर्भर बना सकती हैं। डॉ जीआर चिंतला ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत हुई हैं और राज्य के साथ इस बात पर सहमति बनी हैं कि सरकार नाबार्ड की अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ उठाएगी।
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
डॉ जीआर चिंतला ने कहा कि मौजूदा समय में कृषि और अन्य गतिविधियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा हैं। और यह प्रभाव आने वाले समय में ओर अधिक बढ़ेगा। ऐसे में इसके लिए पहले से ही तैयार रहने की जरूरत हैं।
योजना का लाभ लेने में सबसे फिसड्डी उत्तराखंड
नाबार्ड के चेयरमैन डॉ जीआर चिंतला ने कहा कि अवस्थाना विकास निधि यानी आरआईडीएफ का उपयोग करने में उत्तराखंड देश में सबसे निचले पायदान पर हैं। देश के कई राज्य इस योजना में दो से तीन हजार करोड़ तक का लोन ले रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड इस साल 750 करोड़ का भी उपयोग नही कर पाया। इस योजना में नाबार्ड बेहद सस्ता (महज 2.75 प्रतिशत) की दर पर लोन देता है। लेकिन राज्य में इसका उपयोग लगातार कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह योजना कृषि सुधार एवं ढांचागत विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इस योजना का आकार 30 हजार करोड़ का हैं।
आर्गेनिक ब्रांड बनाएंगे आत्मनिर्भर
नाबार्ड के चेयरमैन डॉ जीआर चिंतला ने कहा कि प्रदेश में आर्गेनिक खेती और उत्पादों की अपार संभावनाएं है। इस पर ध्यान देकर राज्य अपने उत्पादों को काफी ऊंचे दामों पर बेच सकता हैं। इसके लिए किसानों को मदद देने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु की कारण हिमालय में कई ऐसे उत्पाद होते हैं जो कहीं और इतने बेहतर नहीं हो सकते। राज्य को इन क्षेत्रों और उत्पादों की पहचान कर उस ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हिमालयन गोट से ही राज्य बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका को सुधार सकता हैं। ऐसे ही कई अन्य उत्पादों पर भी काम करने की जरूरत हैं।