पटना। कभी गलियों और गांवों के चौबारों में जो आवाजें गूंजा करती थीं। जिनकी आहट से पनघट खिल उठते थे। बाबुल के घर से ससुराल के सफर में नजाने कहां खो गईं। जी हां हम बात कर रहे हैं कुछ ऐसी दुल्हनों की जो बाबुल के घर से तो विदा हुईं पर आज तक कभी उनकी बाबुल के आंगन बचपन के पनघट पर वापसी ना हो सकी । आखिर कहां गईं वो दुल्हनें कौन ले गया इन दुल्हनों को ये सवाल बड़ा और गम्भीर है। लेकिन इस उत्तर बड़ा और अकल्पनीय है।Prostitution
आखिर कहां गई वो दुल्हनेंBrides
देश में गरीबी और अशिक्षा के चलते आज भी एक बड़े तकबे में विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंची है। देश में पिछड़े राज्यों में विकास व्यवस्था के चलते कई बार ऐसी वारदातें सामने नहीं आती। ऐसा ही एक राज्य बिहार जहां अभी विकास सूबे में उगने की राह देख रहा है। विकास का मतलब सड़कों और इमारतों से नहीं लोगों की सोच शिक्षा और व्यवस्था में बदलाव से है और वो भी ऐसा जिससे जीवन जीने के लिए रास्तों के साथ आधार मिले। लेकिन अभी सूबे में सूरज का निकलना बाकी है। इसी सूबे के कोसी और सीमांचल के जिलों में दुल्हनें तो सजती हैं, विदा होती हैं लेकिन आज तक कभी बाबुल के आंगन का रूख नहीं कर पाती। वजह यहां की असुविधाएं नहीं बल्कि इन दुल्हनों का बड़े शहरों में होने वाला दैहिक शोषण है। MODI
कैसे होता है ये काम
सूबे के अशिक्षित और गरीबी की मार झेल रहे इलाकों में लोगों के पास जब खाने को नहीं है तो वे कैसे अपने घरों में जवान हो रही लड़कियों का ब्याह कर पायेंगे। लोगों की इस समस्या को आधार बनाकर कई बहरूपिये नकली पति बनकर पहले तो गरीब मां बाप को सब्जबाग दिखाते हैं। फिर शादी कर ऐसा गायब होते है कि लौटकर दुबारा इन चौखटों पर नहीं आते। इसके बाद जो होता है वो शब्दों के जरिए मैं बयान नहीं कर सकता। आप कल्पना कर सकते हैं। कि कैसे वो कोमल दिल सेज पर अपने पति के आने की राह देख रहा होता है, लेकिन पति परमेश्वर की जगह दैत्य आकर रोज उस दुल्हन की आबरू लूटते हैं। ऐसे नरकीय जीवन में ये फूल और इसकी रंगत खो जाती है। फिर ये दलालों के हाथों का खिलौना बन हर रात हर घंटे किसी की दुल्हन बनती है। ये जान महज चंद रूपयों के लिए दलालों के जरिए किया जाता है। NITISH KUMAR
दुल्हनों की होती है बिक्री
कई बार तो इन दुल्हनों को पंजाब राजस्थान और हरियाणा जैसे असंतुलित जनसंख्या वाले राज्यों में दुल्हनों के रूप में इनको बेचा जाता है। जहां पर इनका जीवन एक बत्तर नरकीय हालातों में गुजरता है। इस पूरे काम को गिरोह के रूप में संचालित किया जाता है। बिहार में सीमांचल में ये धंधा कुछ ज्यादा ही फलफूल रहा है। सूत्रों की माने तो बिहार का कटिहार जिला इस धंधे का मुख्य केन्द्र है। जहां से मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, कुरसेला व अन्य इलाकों से लडकियों से शादी का खेल चलता है। फिर शादी होने पर विदाई के बाद ये दुल्हनें कभी बाबुल की दहलीज पर नहीं आ पाती। LALU YADAW
कई मामले आये हैं सामने
बिहारीगंज, गम्हरिया, उदाकिशुनगंज, आलमनगर, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा और कुरसेला में कई मामले पुलिस रिकार्ड में सामने आये हैं। जहां पर पुलिस केवल अब तक जांच ही में जुटी है। फिर भी पुलिस की माने तो वहां पर सख्त निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे मानव तस्करों के गिरोहों और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाये। लेकिन अगर देखा जाए जो क्राइम ब्यूरो के आंकड़े ये साफतौर पर बता रहे हैं कि सूबे में अब तक कैसे लगातार लड़कियों के गायब होने का ग्राफ बढ़ा है। लेकिन बरामदगी को लेकर पुलिस से लेकर सरकार तक खामोश है। HC interim stay on proceedings against Amit Mishra
POLICE
Sex workers
आखिर कहां है वो गुमनाम दुल्हनें, आखिर कब तक चलेगा ये दुल्हनों का खेल, क्या कभी बाबुल की दहलीज पर आयेंगी ये दुल्हनें, या हर घंटे हर दिन हर रात इन दुल्हनों की यूं हीं सजेगी सेज, क्या इनकी आंखों के सपने कभी सच होंगे ये कई यक्ष प्रश्न हैं समाज के सामने सरकार के सामने आखिर क्या गरीबी का डंक इनकी हंसती खेलती जिंदगियों को यूं बर्बाद करेगा। ऐसी खबरें और लेख क्या वाकई में कभी इन मासूमों की जिन्दगी में बदलाव ला पायेंगे, नोटबंदी को लेकर विपक्ष जिस तरह से सरकार पर हमलावर हो रहा है क्या कभी इनके दर्द को भी उठायेगा। इस दर्द का हमें अभी एहसास ना हो लेकिन जिस पर ये दर्द गुजरा होगा उसकी जुबान से बस यही निकला होगा ” ना आना इस देश मेरी लाडो”
(अजस्रपीयूष)