पटना। बिहार में मुजफ्फरपुर के बालिका गृह यौन उत्पीड़न कांड में ब्रजेश ठाकुर पर नकेल कसने की कवायद सफल होती नहीं दिख रही है। निबंधन विभाग ने बालिका गृह का संचालन करने वाली संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति और इससे जुड़े सात लोगों पर संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगाई है लेकिन संचालकों में उसका नाम ही नहीं है। समिति में ब्रजेश ठाकुर की पत्नी प्रोफेसर आशा तो हैं लेकिन न तो ब्रजेश ठाकुर और ना ही उसके पुत्र राहुल आनंद है। एसे में अब भी ब्रजेश ठाकुर और उसका बालिग बेटा आसानी से संपत्ति बेच सकते हैं। सीआईडी को निबंधन विभाग से मिली जानकारी में शहर से सटे अहियापुर ईलाके में 31 जुलाई को राहुल आनंद द्वारा 10 लोगों के नाम साढ़े 11 कठ्ठे की जमीन बेचे जाने की पुष्टि हुई है। इस भूखंड का बाजार मूल्य दो करोड़ से अधिक का है।
बता दें कि ब्रजेश ठाकुर और उसके बेटे के नाम से करोड़ों की संपत्ति का पता चल चुका है। डीएम ने सरकार के निर्देश पर निबंधन विभाग को पत्र लिखा है, जिसमें सेवा संकल्प एवं विकास समिति से जुड़े लोगों की संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने को कहा है लेकिन इस सूची में ब्रजेश और उसके बेटे का नाम ही नहीं है। जिन सात नामों का जिक्र डीएम के पत्र में किया गया है उसमें से सभी सेवा संकल्प एवं विकास समिति से जुड़े हैं।
वहीं इनमें संजय कुमार सिंह अध्यक्ष , पिता दिनकर प्रसाद सिंह, रमेश कुमार सचिव पिता देवेन्द्र ठाकुर, प्रयागनाथ तिवारी उर्फ मुन्ना कोषाध्यक्ष पिता सुरेश तिवारी , किरण पौद्दार सदस्य पिता रमेश पौद्दार, संगीता कुमारी सदस्य पति अनिल श्रीवास्तव, प्रोफेसर डॉ आशा सदस्य पति ब्रजेश कुमार और संगीता सुभाषिनी सदस्य पति अनिल गुप्ता शामिल हैं। इन लोगों की सम्पत्ति के खरीद-बिक्री पर रोक निबंधन विभाग ने लगाया है। साथ ही सेवा संकल्प एवं विकास समिति के नाम से भी खरीद-बिक्री पर रोक लगाई गई है।