2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली दंगों में दर्ज 131 केसों वापसी करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर अब राजनीति गरमा गई है। सभी राजनीतिक पार्टियां इसे बीजेपी की वोट बैंक राजनीति करार दे रही हैं। एआईएआईएम प्रमुख औवैसी ने कहा कि यह बीजेपी का तुष्टीकरण है इस मामले में सरकार के कई सांसद और एमएलए भी शामिल हैं।
उन्होंने ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट बनाए जाने की बात कही लेकिन ये लोग स्पेशल कोर्ट बनने से पहले इन लोगों को बचाना चाहते हैं। दूसरी बात यह है कि बीजेपी हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करती है। ये हिंदुत्व तुष्टिकरण है। उत्तर प्रदेश में रूल आॅफ लॉ नहीं, रूल आॅफ रिलीजन है। उन्होंने कहा कि बीजेपी उन तमाम लोगों को बचाना चाहती है, जिनकी वजह से 50 हज़ार लोग बेघर हो गए। ओवैसी ने कहा कि एक बात साफ हो गई है कि ये ट्रिपल तलाक़ पर बिल लाते हैं और अब रेप के आरोपी को बचाने की बात कर रहे हैं। ये मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं।
वहीं सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि सरकार ने दंगा पीड़ितों के लिए कुछ नहीं किया। योगी सरकार केस वापसी सिर्फ वोट बैंक साधने के लिए कर रही है। कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों में शामिल लोगों को योगी सरकार के एक साल पूरे होने का गिफ्ट मिला है, जो सरकार केस को वापस ले रही है। लेकिन हमें अदालत पर भरोसा है। हम अपना विरोध जारी रखेंगे।
उधर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने केस वापसी पर उन्होंने कहा कि जो मामले अदालत में विचाराधीन है उनको वापस लेना ठीक नहीं है। केस वापसी पर एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा कि राज्य को अधिकार है स्टेट हारमनी में केस वापस ले ले। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि राजनैतिक हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाए।