पिछले दिनों नागरिका संशोधन कानून को लेकर काफी बवाल मच था। और इस मुद्दे पर काफी राजनीति भी हुई थी। हाताल इतने बिगड़े थे कि, दंगों में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। दिल्ली में मची इस तबाही को कई नहीं भूल सकता है। तमाम विवाद और बहस के बाद ये मुद्दा फिलहाल के लिए कोरोना के चलते शांत है। ऐसे में एक बार सीएए को लेकर इसलिए बहस छिड़ गई है कि, खबर आयी है कि, रोहिंग्या मुसलमान सीएए का लाभ लेने के लिए ईसाई धर्म को अपना रहे हैं।
केंद्रीय एजेंसियों ने सरकार को इस बारे में जानकारी दी है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, एजेंसियों ने अपनी जांच में पाया है कम से कम 25 अफगानिस्तान के मुस्लिमों ने ईसाई धर्म अपना लिया है।पिछले साल संसद में पास नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है।
पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। अभी केंद्रीय गृह मंत्रालय को CAA 2019 के नियम को नोटिफाई करना है।
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इस खबर के सामने आने से ने नई बहस छिड़ सकती है। जिसको लेकर अभी से चर्चा होने लगी है। सरकार इस पर क्या कदम उठाएगी। इस पर सबकी नजर टिकी हुई है। रोहिंगया मुसलमान बांग्लादेश से आये हुए बताये जाते हैं। जिनको लेकर काफी विवाद भी हो चुका है। रोहिग्या मुसलमानों की हालत किसी से छिपी नहीं है।