महाराष्ट्र में तेजी के साथ बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों में सरकार की नींद उड़ाकर रख दी है। कोरोना मरीजों की संख्या कुछ कम की जा सके
मुंबई। महाराष्ट्र में तेजी के साथ बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों में सरकार की नींद उड़ाकर रख दी है। कोरोना मरीजों की संख्या कुछ कम की जा सके, इस मकसद से पुणे में एक बार फिर 10 दिनों तक लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है। 13 जुलाई से शुरू होने वाला यह लॉकडाउन 23 जुलाई तक चलेगा।
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने असहमति जताई है। उनका कहना है कि कम समय के लिए लगाया जाने वाला लॉकडाउन कोरोना की रफ्तार रोक पाने में कोई मदद नहीं कर पाएगा। कम से कम 14 दिनों का लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए, तब कुछ नतीजे मिल सकते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी 10 से 13 जुलाई तक लॉकडाउन लगा दिया गया है।
बता दें कि एसबीआई की तरफ से आयोजित इकॉनामिक कॉन्फ्रेंस में एम्स डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि देश के प्रमुख शहरों में बढ़ते नए संक्रमण मामलों की प्रवृत्ति अगले कुछ हफ्तों के दौरान कम या ज्यादा हो जाएगी, जबकि नए कोरोना मामलों में कमी आने में ज्यादा समय लगेगा। डॉ. गुलेरिया का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में हर दिन 23 हजार से ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि मुंबई जैसे महानगरों में पहले की तुलना में अब नए संक्रमित मामले कम आ रहे हैं।
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‘शहर नहीं कंटेनमेंट जोन में लगाएं लॉकडाउन’
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अनलॉक के दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना बिलकुल कम कर दिया। साथ ही प्रशासन को कोरोना क्लस्टर्स और कंटेनमेंट इलाकों पर लगातार नजर रखनी चाहिए। लॉकडाउन अगर लगाना ही है तो कम से कम 14 दिन तक लगाया जाए ताकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाया जा सके। डॉ. गुलेरिया ने सुझाव दिया कि शहरों में लॉकडाउन लगाने की बजाय सरकार को कंटेनमेंट इलाकों में लॉकडाउन लगाना चाहिए जहां पर कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।