मऊ/लखनऊ। बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को एक बड़े मामले में जमानत मिल गई है। हालांकि उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। क्योंकि अन्य मामलों में अभी मुख्तार के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
फर्जी लाइसेंस के आधार पर शस्त्र रखने के आरोप में मऊ सदर से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। उन पर कूटरचना करने और षडयंत्र करने का आरोप था।
मामले की सुनवाई के दौरान मऊ की जिला अदालत में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई, लेकिन विपक्ष का दावा हवा हवाई निकला। मुख्तार अंसारी के खिलाफ कोई भी साक्ष्य न मिलने पर कोर्ट ने उन्हें मामले में जमानत दे दी।
मुख्तार अंसारी को एक;एक लाख के दो बंधपत्र और मुचलका भरने का आदेश दिया गया। साथ ही यह आदेश भी दिया गया कि बिना अदालत की अनुमति और मामले का पूरी तरह निस्तारण न होने तक देश में ही रहना होगा।
ये था आरोप
मुख्तार अंसारी पर आरोप लगा था कि उनके लेटर पैड पर चार लोगों इसराइल अंसारी, अनवर शहजाद, सलीम और शाह आलम को शस्त्र लाइसेंस दिया जाए। जबकि इनका पता फर्जी था। इस मामले को लेकर मऊ के दक्षिण टोला थाने में केस दर्ज कराया गया। इस मामले में मुख्तार अंसारी को भी दोषी बनाया गया।
सिफारिश के अलावा कोई दूसरी भूमिका नहीं है मुख्तार की : बचाव पक्ष
बचाव पक्ष के वकील दरोगा सिंह ने कहा कि इस मामले में मुख्तार अंसारी ने चार लोगों की सिफारिश की थी। उसके बाद तत्कालीन थाना प्रभारी ने निरीक्षण भी किया था। तब पता सहित सभी चीजें सही पाई गई थीं।
उसके बाद डीएम ने लाइसेंस जारी किया था। दरोगा सिंह ने दावा किया कि उसके बाद से इस मामले में मुख्तार का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने सिर्फ सिफारिश की थी।
दरोगा सिंह ने कहा कि इस मामले में आरोपियों की जमानत पहले ही स्वीकृत हो चुकी है। कुछ मामलों में फाइन रिपोर्ट भी आ चुकी है। उन्होंने दावा किया कि अन्य जो मामले हैं वो राजनीतिक कारणों से लगे हैं।
इसके पहले गुरूवार को एक मामले में मुख्तार की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी हुई थी। मुख्तार ने अपील की थी कि उनके वकीलों और परिवारीजनों को जेल मैनुअल के अनुसार मिलने दिया जाए। जिस पर कोर्ट ने बांदा जेल अधीक्षक को आदेश दिया कि मुख्तार की इन मांगों को पूरा किया जाए।