लखनऊ। कोरोना (Corona) के दोनों चरणों ने देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी है। व्यापार जगत को कोरोना के कारण करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। व्यापारियों के सामने अपने व्यवसाय को एक बार फिर से खड़ा करने की मुश्किलें सामने आ गई हैं। अभी कोरोना की दूसरी लहर के बाद व्यवसाय ने पूरी रफ्तार भी नहीं पकड़ी है, ऐसे में कोरोनी की तीसरी लहर की दस्तक ने चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। कोरोना से हुए नुकसान, उसकी भरपाई और कोरोना के बीच व्यापार को रफ्तार देने के मुद्दों पर भारत खबर के संवाददाता सुशील कुमार ने इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) कानपुर के डिविजनल चेयरमैन आलोक अग्रवाल से बात की। पेश है बातचीत का अंश…
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कोरोना ने व्यापार को कितना प्रभावित किया है?
देखिए, कोरोना ने व्यापार को अब तक जितना नुकसान पहुंचाया है, मुझे नहीं लगता कि इतना नकारात्मक असर किसी दूसरी चीज से पहुंचा हो। कोरोना नो जानमाल दोनों का नुकसान किया है। इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है।
कोरोना के पहले चरण में लगे लॉकडाउन (Lockdown) ने बड़े-बड़े व्यवसायों को बुरी तरह प्रभावित किया। कई छोटे उद्योग तो बंद भी हो गए। हालांकि, दूसरे चरण के दौरान लॉकडाउन तो नहीं लगा लेकिन कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) के कारण बाजार बंद रहे। ऐसे में उद्योगों का काम भी करीब 50 से 60 फीसदी तक प्रभावित हुआ। अब कर्फ्यू में छूट के बाद बाजार रंगत तो पकड़ रहा है, लेकिन डर अभी भी बना हुआ है।
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कोरोना की तीसरी लहर का ऐलान हो चुका है। क्या तैयारियां हैं आपकी?
कोरोना एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यवसाय तो छोड़िए जान बचाने के लाले पड़े हुए हैं। कोरोना के कारण पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से ही हिला हुआ है। हम व्यवसायियों के लिए यह सबसे मुश्किल वक्त है। हमारी कोशिश है कि जागरूकता के जरिए कोरोना की तीसरी लहर को खतरनाक बनने से रोका जाए।
बाजारों और दुकानों में हम सैनिटाइजेशन (Sainitization) लगातार करा रहे हैं। ग्राहकों से मास्क पहनने की अपील की जा रही है। सैनिटाइजर का प्रयोग किया जा रहा है। भीड़ को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा रहे हैं। दुकानों पर काम करने वाले लोगों को भी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन करने के निर्देश दे रहे हैं।
शायद हमारी इस जागरूकता से कोरोना की तीसरी लहर को कम करने में मदद मिले। लोगों से वैक्सीनेशन कराने की अपील कर रहे हैं। खुद और काम करने वाले लोगों को भी वैक्सीन लगवा रहे हैं। कोरोना से बचाव के हर माध्यम को अपनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
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कोरोना के बीच और उसके बाद के व्यापार को कैसे देखते हैं आप?
कोरोना के बीच व्यापार की स्थिति से हर कोई वाकिफ है। 40 फीसदी रोजगार देने वाला उद्योग जगत खुद परेशान है। काम नहीं होने के बाद भी हम अपने यहां काम करने वाले लोगों को वेतन दे रहे हैं। उनका परिवार भी हमारे भरोसे ही है।
लेकिन, सवाल है कि आखिर बिना कमाई के हम ये सब कब तक कर पाएंगे। अगर कोरोना पर लगाम लगती है तो व्यवसाय रफ्तार भी पकड़ेगा। व्यापार को हजारों करोड़ की चपत लगी है। इसके नुकसान की भरपाई तो संभव नहीं है लेकिन बेरोजगारी की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।
लेकिन, कोरोना पर लगाम लगने के बाद भी व्यापार को पूरी तरह रंगत पकड़ने में करीब एक साल का वक्त लग जाएगा। क्योंकि, कोरोना के दौरान लोगों ने अपनी जमापूंजी भी लगभग खर्च कर दी है। हालात मुश्किल हो चुके हैं, उबरने में वक्त तो लगेगा ही।
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सरकार से किसी तरह की मांग है आप लोगों की?
सरकार और व्यापारी एक दूसरे के सहयोगी की भूमिका में होते हैं। सबसे ज्यादा टैक्स व्यापारी ही जमा करते हैं। लघु उद्योग रोजगार देने के सबसे बड़े माध्यम हैं। ऐसे में सरकार को भी चाहिए कि जब व्यापारियों पर मुश्किलों का दौर आए तो वो उनके साथ खड़ी हो।
हालांकि, अक्सर सरकारों ने व्यापारियों का हमेशा साथ दिया है। हमारी सरकार से मांग है कि टैक्स जमा करने में हमें थोड़ी राहत दे। राहत का अर्थ ये नहीं है कि हमारे टैक्स माफ करे। बल्कि हम ये चाहते हैं कि इनको जमा करने के लिए हमें छह महीने का और वक्त दिया जाए। साथ ही बिजली का व्यावसायिक प्रयोग हमने कोरोना के दौरान नहीं किया था। इसमें राहत मिले। साथ ही बैंकों के ब्याज से भी राहत मिले।
हमारी सरकार से मांग है कि छह महीने का वक्त दिया जाए जिससे कि हम सारे टैक्स जमा कर सकें, बिना पेनॉल्टी के। पुराने जो बकाया हैं उनको जमा करने का भी वक्त मिले और उसको ईएमआई में कन्वर्ट कर दिया जाए तो व्यापारियों को बड़ी राहत मिल सकती है।