लखनऊ: महामारी और बड़ी आर्थिक परेशानी में सबसे ज्यादा असर छोटे रोजगार और स्वरोजगार करने वालों को होता है। इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम वर्ग से जुड़े व्यापारी काफी प्रभावित होते हैं। कोरोना के बाद मौजूदा स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। इस दौर में MSME सेक्टर किन परिस्थितियों से गुजर रहा है, यही जानने के लिए MSME Day पर BharatKhabar.com के संवाददाता आदित्य मिश्र ने इस सेक्टर से जुड़े पदाधिकारियों से विशेष बातचीत की।
सिंगल विंडो सिस्टम जरूरी
राजेश गोयल (Rajesh Goyal, President, Federation of cold storage associations of India) कहते हैं कि MSME वन मैन शो होता है, इसमें कम लोगों की मदद से बडे़ प्रयास किये जाते हैं। कई बार कम लोग होने के कारण आधा समय कागजी कामकाज करने में लग जाता है। इसीलिए एक सिंगल विंडो सिस्टम होना चाहिए। कोरोना के बाद की स्थिति पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि माहौल काफी बिगड़ गया है। व्यापार पर इसका बहुत असर देखने को मिला है लेकिन अभी भी उम्मीद बाकी है।
सरकार से कुछ समाधान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो योजनाएं MSME सेक्टर के लिए सरकार की तरफ से जारी की जाती हैं, उनका जमीनी स्तर पर सही से क्रियान्वयन होना चाहिए। इसके साथ ही एक मॉनिटरिंग सिस्टम भी होना चाहिए, जो जमीन पर इसकी निगरानी कर सकें। उनका कहना है कि धीरे-धीरे अब माहौल बिगड़ने के कारण लोगों का नजरिया भी बदलने लगा है, आने वाली पीढ़ी को लोग स्टार्टअप या छोटे उद्योग में नहीं जोड़ना चाह रहे। यह सोच तभी बदलेगी, जब दोबारा एमएसएमई सेक्टर पूरी हिम्मत के साथ खड़ा हो पाएगा।
सिर्फ लोन नहीं, अन्य सुधार जरूरी
सुरेश गुप्ता (Suresh Gupta, National Vice president, IIA) के अनुसार महंगाई और रॉ मटेरियल की कीमत 30 से 40% बढ़ गई है। इधर महंगाई बढ़ रही है, दूसरी तरफ खरीदार कीमत बढ़ाना नहीं चाहते। मैन पावर में महामारी के चलते भारी कमी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि सरकार अपनी तरफ से कई कदम उठा रही है, जिनमें कुछ बेहतर परिणाम दिख रहे हैं। लेकिन सिर्फ लोन देने से काम नहीं चलने वाला है, उनका कहना है कि जो पुरानी स्कीम बंद कर दी गई हैं उन्हें दोबारा शुरू किया जाए। शिपिंग चार्ज भी ज्यादा लग रहा है, जिसमें थोड़ी लगाम लगनी चाहिए। आखिर में सुझाव के तौर पर सुरेश गुप्ता ने कहा कि गवर्नमेंट को सब्सिडी बढ़ानी चाहिए और बेलगाम कीमतों पर भी लगाम लगाने की जरूरत है।
तीसरी लहर की आशंका ने बढ़ाई चिंता
रजत मेहरा (Rajat Mehra, Vice President, IIA) कहते हैं कि जब कोरोना की पहली लहर गुजर गई थी, इसके बाद लोग और व्यापार दोबारा संभलने लगा था, लेकिन दूसरी लहर ने पूरी तरह से कमर तोड़ कर रख दी। अभी आम आदमी खरीदारी की तरफ बिल्कुल नहीं सोच रहा है, इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ रहा है। इस बार लोगों के बीच ज्यादा डर बैठ गया है। रजत कहते हैं कि अभी से तीसरी लहर के बारे में बात उठनी शुरू हो गई है, इसका बाजार पर नकारात्मक असर हो रहा है।
लोग भविष्य के खतरे को देखते हुए, अभी भी सहमे हुए हैं। बाजार में मौजूदा स्थिति यह है कि सामान्य बिजनेस घटकर 50% पर आ गया है। सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद में सिर्फ लोन सही कदम नहीं है, इसके अलावा सुझाव के तौर पर उन्होंने कहा कि MSME सेक्टर को मिली जमीन जिसे लीज पर दिया गया है। उसे फ्री होल्ड कर देना चाहिए, इससे बिजनेस में आर्थिक मजबूती मिलेगी और नए रोजगार के आयाम खुलेंगे।
आशावादी होना ही उद्यम है
विमल (Bimal Rewari, Divisional Chairman, IIA) कहते हैं कि एमएसएमई अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। मौजूदा माहौल में सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं, जमीनी हकीकत की बात करें तो कई सारी नीतियां ऊपर से बनाई जाती हैं लेकिन उनका वास्तविक रूप में सही फायदा नहीं मिल पाता। सरकार की नीतियों के लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं, लेकिन फायदा सभी को मिले और बराबर रूप से मिले, इस विषय पर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मैन पावर और डिमांड की भारी कमी देखने को मिल रही है। फूड इंडस्ट्री पर भी इसका बहुत असर हुआ है, सभी ऑफिस और कार्यालय बंद होने के कारण स्थिति सामान्य नहीं है। 50% क्षमता पर इन दिनों कामकाज हो रहा है, फिर भी सभी आशावादी हैं और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति बेहतर होगी।