लखनऊ: रविवार यानी 27 जून को MSME Day (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग दिवस) मनाया जा रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है। कोरोना काल में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के दम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का मूल मंत्र दिया था।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए केंद्र-राज्य सरकारें लगातार प्रयासरत हैं। तमाम योजनाओं के दम पर इससे जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। हालांकि एमएसएमई से जुड़े उद्योगों की स्थिति वर्तमान में क्या है, इस बात की जानकारी खुद उद्यमियों ने भारतखबर.कॉम को दी है। आप भी पढ़िए…
मुश्किल दौर से गुजर रहा उद्योग जगत, सरकार की योजनाएं अच्छीं
जितेंद्र पारिक (Vice President, Indian Industries Association) (Entrepreneur, Eco Vision Industries) का कहना है कि कोरोना काल और लॉकडाउन के चलते वर्तमान में एमएसएमई से जुड़े उद्योग मुशील दौर से गुजर रहे हैं। जैसे ही उद्योग की स्थिति को संभालने का प्रयास किया जाता है वैसे ही कोरोना वायरस भयावय रूप ले लेता है। हालांकि, उद्यमियों की कोशिशें लगातार जारी है। सरकार की योजनाएं अच्छी हैं लेकिन अभी तक उनका एक्चुअल लाभ नहीं मिल पाया है क्योंकि वैश्विक महामारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
गुजारिश करते हुए जीतेंद्र पारिक ने कहा कि सरकार सभी डिपार्टमेंट एक लिए एक समाधान योजना निकाले जिससे उद्यमियों को पेपर वर्क में ज्यादा समय ना देना पड़े और उनका ज्यादा ध्यान उद्योग को बढ़ाने में लगे। इससे उद्योग से जुड़ी कमियों को दूर करना का समय उद्यमियों को मिलेगा और अर्थव्यवस्था की गति को भी इससे बढ़ावा मिलेगा, साथ ही आत्मनिर्भर बनने की राह पर उद्यमी चल पड़ेगा।
सरकारी कामकाजों में लगता है उद्यमियों का ज्यादा समय
आर.के. धवन (Vice President, Indian Industries Association) (R.S. Enterprises New Sharda Nagar,Saharanpur) का कहना है कि एमएसएमई से जुड़े उद्योगों की स्थिति मध्यम केटेगरी की है। ऐसा इसलिए क्योंकि उद्यमियों का ज्यादा समय सरकारी अमले से झूझने में लग जाता है। जो समय उसे प्रोडक्ट और काम में लगाना चाहिए, वो समय को सरकारी कामों को पूरा करने में लगता है। इससे उसका लॉस होता है। उन्होंने कहा है कि हमें उम्मीद थी मौजूदा सरकार में ऐसे तामझाम से मुक्ति मिलेगी लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। थोड़ा बदलाव जरूर आया है लेकिन वो कारगर नहीं है।
उन्होंने कहा है कि सरकारी उत्पीड़न को कम करने के लिए कदम उठाना जरूरी है। सरकार के अधिकारीयों को समझना होगा की अगर उद्यमी ज्यादा समय सरकारी कामों में देगा तो उद्योग और व्यापार को बढ़ाने का समय उसके पास नहीं बचेगा। सरकार को एमएसएमई पर और ध्यान देने की जरूरत है। सरकारी दावों को धरातल पर उतारने के लिए काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा है कि सरकार की मंशा और योजनाएं अच्छी हैं लेकिन अधिकारीयों की सोच अलग है, सरकार और अधिकारीयों के बीच ताल-मेल की कमी है।
कोविड की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा
संजीव अरोरा (Vice President, Indian Industries Association) (Es Kay Enterprises ,B-1, Pilkhani Industrial Estate, Ambala Road, Saharanpur) का कहना है कि वैश्विक महामारी की वजह से एमएसएमई बुरे दौर से गुजर रहा है। लगभग सभी इंडस्ट्री में कैपेसिटी की कमी है। वर्कर्स और लेबर्स के खर्चे देने में इंडस्ट्री को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से डीमांड भी कम है। रॉ मटेरियल की दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। इन सब की वजह से इंडस्ट्री लॉस में जा रही है। फंड्स के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है।
उन्होंने कहा है कि सरकार बढ़ावा देने की बात कह रही है लेकिन धरातल पर योजनाओं का लाभ पहुंचने में बहुत दिक्कत हो रही है। इंडस्ट्री को वरीयता देने की जरूरत है। मनमाने अधिकारीयों पर लगाम लगाने की जरूरत है। सरकारी योजनाओं को सरकार के अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। उद्यमियों की शिकायतों की सुनवाई के लिए भी एक प्लेटफार्म तैयार करने की जरूरत है।
डोमेस्टिक मार्केट में डीमांड की कमी, सरकार को ध्यान देने की जरूरत
जी.एन. मिश्र (Vice President, Indian Industries Association) (Raj Steels, 3/2 Adarsh Nagar, Shuklaganj, Unnao) का कहना है कि कोविड के कारण डोमेस्टिक मार्केट में डिमांड की कमी है। रॉ मटेरियल महंगा कर दिया गया है। इसकी वजह से इंटरनेशनल मार्केट में हम कंपटीट करने में असमर्थ हैं। मार्केट में प्रोडक्ट्स की डीमांड कम होने की वजह से लेबर और स्टाफ का भुक्तान करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा है कि उद्यमियों की गुजारिश है कि स्टेट गवर्नमेंट और सेंट्रल गवर्नमेंट एक पैकज दे। इंसटालमेंट, ब्याज आदि जैसे चार्जेस को न लिया जाए। उन्होंने कहा है कि तीन साल तक इन सब चीज़ों में राहत दी जाए। उन्होंने कहा है कि अगर एमएसएमई को बढ़ावा देना है तो सरकारों को इन सभी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। एमएसएमई को एक्सटेंड करने के प्रयास में सरकार लगी हुई है लेकिन सरकारी अधिकारी इन प्रयासों को पलीता लगा रहे हैं। अधिकारी, सरकार से असल स्थिति को छुपा कर रख रहे हैं। जबकि अधिकारीयों को सरकार से इंडस्ट्री से जुड़ी परेशानियों को डिस्कस कर उसके सल्यूशन पर काम करना चाहिए।