लखनऊ: विश्व में रविवार को MSME Day (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग दिवस) मनाया जा रहा है। एमएसएमई डे भारत में भी अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। चूंकि कोविड महामारी के दौरान रोजगार और उद्योगों पर काफी प्रभाव पड़ा है।
अब ऐसे में एमएसएमई इंडस्ट्री की क्या स्थिति है, कोविड हालातों के बीच उसे फिर से कैसे खड़ा किया जा सकता है, एमएसएमई को बढ़ावा कैसे मिल सकता है और सरकार को एमएसएमई उद्यमियों के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, इन सभी बातों पर आज भारत खबर के संवाददाता शैलेंद्र सिंह ने एमएसएमई से जुड़े उद्यमियों से खास बातचीत की और उनकी राय जानी।
MSME के बिना नहीं हो सकता देश का ग्रोथ: जेपी जायसवाल
ज्योति प्रकाश जायसवाल ‘जे.पी.’ (Divisional Chairman, Indian Industries Association, Gorakhpur Division) ने बताया कि, कोविड की पहली लहर में उद्योग तबाह हुआ, फिर धीरे-धीरे खड़ा हो गया, लेकिन दूसरी लहर में उद्योग पूरी तरह से टूट गया। सामान की कीमत बहुत बढ़ गई और ब्रिकी जीरो हो गई या बहुत न्यूनतम स्तर पर चली गई। कोरोना बंदी के समय सरकार ने न बिजली के बिल माफ किए, न जीएसटी में छूट दी गई और न कोई ऐसा प्रोत्साहन दिया, जिससे उद्यमियों को लाभ मिले। अगर सरकार किसानों को कम ब्याज दर पर पैसा दे रही है तो जो आरबीआई की इतना बड़ा सेक्टर है, जो सिस्टम को लेकर चल रहा है तो इसको भी उसी दर पर ब्याज सहूलियत के साथ देना चाहिए। सरकार किसानों का इंश्यारेंस कराती और फसल बर्बाद होने पर मुआवजा दिया जाता है, लेकिन एमएसएमई को किसी तरह का मुआवजा नहीं मिलता बल्कि उन्हें विषम परिस्थितियों में भी लोन चुकाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि, हमने कोरोना की विकट परिस्थितियों में भी अपने लेबर्स को पेमेंट किया, वैक्सीनेशन कैंप लगाकर उनका टीकाकरण कराया और प्रशासन को भी हर संभव मदद मुहैया कराई। हालात खराब होने के बावजूद हमने फैक्ट्रियों को रन करना शुरू किया। सरकार को चाहिए कि एमएसएमई सेक्टर को सामान्य दर पर आसानी से लोन दिलाए और रेट ऑफ इंटरेस्ट को कम किया जाए। अगर सरकार मानती है कि किसानों के बिना देश का विकास नहीं हो सकता तो एमएसएमई सेक्टर के बिना भी देश का ग्रोथ नहीं हो सकता।
लॉकडाउन के दौरान का बिजली का बिल माफ करें: सुनील अग्रवाल
सुनील अग्रवाल (Chapter Convener, IIA, Hardoi) ने कहा कि, कोविड लॉकडाउन के कारण इंडस्ट्री को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि मार्केट बंद होने के कारण न पीछे से कोई माल आ रहा था और न कोई माल आगे बिक रहा था। वर्तमान स्थिति तो यह है कि हमारा प्रोडक्शन इस समय 25 फीसदी है और माल की डिमांड भी कम है। ऐसे में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक महीने के लॉकडाउन के दौरान का बिजली का बिल माफ करना चाहिए और जो करोड़ों रुपए की लिमिट है, उसका ब्याज माफ करना चाहिए।
यूपी की इंडस्ट्रीज के लिए रॉ मैटेरियल रिजर्व करे सरकार: मोहनदास अग्रवाल
मोहनदास अग्रवाल (Chapter President, IIA, Mirzapur) ने बताया कि, कोविड के समस इंडस्ट्री को काफी लॉस हुआ। न ही समय से इलेक्ट्रीसिटी मिल पाई, न रॉ मैटेरियल मिल पाया और न ही हम लोगों की मार्केट से पेमेंट हो पाई। साथ ही हम लोगों पर ओवरऑल बैंक में ब्याज भी ज्यादा लगा। यूपी सरकार बहुत सा रॉ मैटेरियल ऑक्शन के थ्रू बेचती है, जिससे यह एक्चुअल यूजर्स को नहीं मिलता है। देशभर के लोग इसमें भाग लेते हैं और जहां रॉ मैटेरियल का दाम ज्यादा होता है, वहां के उद्यमी यहां से रॉ मैटेरियल खरीद लेते हैं। लेकिन यूपी की इंडस्ट्रीज में रॉ मैटेरियल की बहुत कमी है, जिससे इंडस्ट्री को सफर करना पड़ रहा है और हर मैटेरियल का वैल्यू बढ़ गया है, जिससे इंडस्ट्री वालों को ऊंचे भाव पर माल खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में अगर यूपी सरकार के जिन विभागों में रॉ मैटेरियल है, जिन्हें वह बेचते हैं, उसे दो से तीन सालों के लिए यूपी की इंडस्ट्रीज के लिए रिजर्व कर ले और उन्हें उपलब्ध करा दे तो ये बहुत बड़ी मदद होगी। इसके अलावा यूपी सरकार जो चीजें परचेज करती है, वह अगर यह कह दे कि वह प्रोडक्ट यूपी की इंडस्ट्री से ही परचेज करेंगे और करे तो इंडस्ट्री के लोगों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा और उनकी राहत मिलेगी।
इंडस्ट्री लगाने की कागजी प्रक्रिया की जाए आसान: राजीव अग्रवाल
राजीव अग्रवाल (Chapter President, IIA, Amroha) ने कहा कि, कोरोना काल में इंडस्ट्री को लोन मिलने और बिजली मिलने की समस्या से जूझना पड़ा है। सरकार को चाहिए कि बिजली के रेट में संशोधन कर फिक्स्ड चार्जेस खत्म किए जाएं और लोन की फॉर्मेलिटी को आसान करके आसानी से लोन मुहैया कराया जाए। साथ ही इंडस्ट्री लगाने के लिए कागजी प्रक्रिया को भी आसान किया जाए, जिससे इंडस्ट्री आसानी से लगाई जा सके और एमएसएमई को बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके।
एमएसएमई सेक्टर को अच्छा एनवायरमेंट चाहिए: विपुल रस्तोगी
विपुल रस्तोगी (Chapter Chairman, IIA, Bijnor) ने बताया कि, कोविड की स्थिति में एमएसएमई से जुड़े सभी सेक्टर्स को परेशानियां झेलनी पड़ी हैं। एमएसएमई सेक्टर को खास तौर पर इसलिए क्योंकि हमारे जो नेटवर्क, ऑडर्स आदि चीजें होती हैं, वह बहुत लिमिटेड होती हैं। ऐसे में बड़े सेक्टर को जो लॉस पूरा करने में एक या दो महीने लगेंगे, वही लॉस एमएसएमई सेक्टर को पूरा करने में एक या दो साल लगेंगे। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा प्रयास तो किए जा रहे हैं, लेकिन बैंकिंग सेक्टर को चाहिए जो लोन हम लोगों को मिला है, उस पर रेट ऑफ इंटरेस्ट कम करना चाहिए, जीएसटी में भी रिलेक्सेशन मिलना चाहिए। साथ ही इलेक्ट्रीसिटी पर और इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी पर रिलेक्सेशन मिलना चाहिए। सरकार की योजनाएं आती हैं, वह लुभावनी दिखती हैं, लेकिन लाभ ग्रास रूट पर नहीं मिल पाता। ऐसे में सरकार को चाहिए कि जो योजनाएं आती हैं, उनका क्रियान्वयन सही ढंग से जमीनी स्तर पर होना चाहिए, जिससे इसका लाभ सबको मिल सके। एमएसएमई सेक्टर को काम करने के लिए अच्छा एनवायरमेंट चाहिए, मूलभूत सुविधाएं चाहिए, इंस्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए, 24 घंटे बिजली चाहिए, कानून व्यवस्था मजबूत चाहिए। हम यह नहीं कहते हैं कि हमें बहुत ज्यादा छूट चाहिए, लेकिन हमें ऐसा एनवायरमेंट चाहिए जहां हम अपना बिजनेस ग्रो कर सकें।