लखनऊ: रविवार 27 जून को MSME DAY मनाया गया। इस दिन का मुख्य उद्देशय उद्योग जगत को बढ़ावा देना है। हमने इस मौके पर तमाम उद्मियों से बातचीत कर उद्योग जगत की बारीकियों को आपके सामने लागने का प्रयास किया है।
MSME DAY के अगले दिन भी हमारी यह सीरीज जारी है। जहां हम उद्योग जगत की बड़ी हस्तियों से बात कर रहे है। आज हमने पियूष गर्ग से बात की, पियूष गर्ग ने हमने उद्योग जगत में छोटी और बड़ी कंपनियों की समस्याओं पर अपनी राय खुलकर रखी।
प्रियेश गर्ग ने MSME पर दिए अपने सुझाव
प्रियेश गर्ग ने MSME और उद्योग क्षेत्र पर बातचीत करते हुए बताया आज के दौर में कंपनियों के सामने सबसे बड़ी समस्या है भुगतान समय पर ना होना। जब हमारा भुगतान ही समय से नहीं होगा तो हम लोग जीएसटी और अपनी कंपनी के कर्मचारियों को भुगतान कहां से करेंगे।
सरकार से कर चुके है कई बार रिक्वेस्ट
हमने इस मामले पर सरकार से कई बार रिक्वेस्ट की है। पर सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पेमेंट का मुद्दा इतना बड़ा बन चुका है कि महीनों नहीं वर्षों बीत जाते है तब भी हमारा पेमेंट समय पर नहीं होता। ऐसे में छोटी कंपनियों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। पमेंट का रोटेशन नहीं हो पा रहा है। पेमेंट का रोटेशन बहुत जरूरी है।
सरकार के पास इच्छा शक्ति है
बड़ी-बड़ी कंपिनयों और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार के पास इच्छाशक्ति है। सरकार चाहती है छोटी और बड़ी कंपनियां ग्रोथ करे। सरकार की सहायता के बावजूद नौकरशाही से इन लोगों को पर्याप्त मदद नहीं मिलती है।
खासकर छोटी कंपनियों को तो बिल्कुल नहीं। सबसे ज्यादा प्रभावित भी छोटी कंपनियां होती है। कोरोना काल में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वह छोटे उद्योगों को चलाने वालों को हुआ है। बड़ी कंपनियों को ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता है।
पुलकित गर्ग ने कहा पेमेंट फंसा और माल की डिमांड भी कम हुई
भारत खबर की तरफ से हमने अगली कड़ी में एमएसएमई पर पुलकित गर्ग से बात की, पुलित गर्ग ने भी मौजूदा कारोबार की स्थिति पर चिंता जाहिर की। पुलित गर्ग ने कहा कोरोना काल से पहले इंडस्ट्री अच्छी चल रही थी। लेकिन जब कोरोना का देश पर हमला हुआ तब अचनाक सब लेबर-मजदूर अपने घरों को वापस लौट गए।
पहले लॉकडाउन में कंपिनियां पूरी तरह से बंद रही। जैसे ही लॉकडाउन खुला मजदूर वापस आए। धीरे-धीरे कंपनियों ने काम शुरू किया। कंपनियां अपने नुकसान को कवर करने ही वाली थी तभी कोरोना ने दोबार अटैक कर दिया। फिर से लॉकडाउन होने पर कंपनियों को तो ज्यादा असर नहीं पड़ा पर रोजमर्रा बाजार बंद होने से माल की डिमांड कम हो गई। जिसका सीधा असर छोटी कंपनियों पर पड़ा।
कुछ कंपनियां जैसे मेडिकल संबंधी सामान बना रही थी उनका भी पेमेंट बाजार में फंसा हुआ है। अब दोबारा से रोजमर्रा का मार्केट ओपन हुआ है तो हमें उम्मीद है एक या दो महीने में हम फिर से रफ्तार पकड़ लेंगे।
सरकार साथ दे रही पर अधिकारी नहीं
पुलकित गर्ग ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि सरकार लघु और मध्यम उद्योगों के लिए कुछ अच्छा सोच रही है। सरकार की तरफ से कई तरह की स्कीम भी दी गई पर यह स्कीम और योजनाएं धरातल पर सही से नहीं उतर पाती।
अगर कोई नई कंपनी बिजली का कनेक्शन चाहती है तो सरकार की तरफ से उसको सुविधा पर है पर नए कनेक्शन के लिए कई चक्कर अधिकारियों के ऑफिस के लगाने पड़ते है। साथ ही जीएसटी फाइल करना भी काफी मुश्किल रहता है। अतुल गर्ग ने अपना सुझाव देते हुए कहा सरकार को जीएसटी को कुछ और सरल करना चाहिए ताकि छोटे उद्यमियों को कार्य करने में आसानी हो।