मंगलवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन इस दुनिया में नहीं रहे उन्होंने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में 85 साल की उम्र में आखरी सासं ली।
भोपाल। मंगलवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन इस दुनिया में नहीं रहे उन्होंने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में 85 साल की उम्र में आखरी सासं ली। बता दें कि 11 जून को लालजी टंडन को सांस लेने में परेशानी हो रही है। साथ ही उन्हें बुखार की भी शिकायत थी। जिसके बाद उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। सोमवार को उनकी हालत को लेकर एक बुलिटेन जारी किया गया था जिसमें उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। मंगलवार को लालजी टंडन ने आखिरी सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया। इसकी जानकारी उनके बेटे आशुतोष टंडन ने ट्विट के जरिए दी।
बाबूजी नहीं रहे
— Ashutosh Tandon (@GopalJi_Tandon) July 21, 2020
बता दें कि लालजी टंडन का कोरोना टेस्ट भी कराया गया था जो नेगेटिव आया था। लालजी टंडन को लीवर में परेशानी हेन के कारण उनका इमरजेंसी ऑपरेशन किया गया था।
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संघ से 12 साल की उम्र में जुड़ गए थे
वहीं बात करें लालजी टंडन के करियर के बारे में तो वो 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे। संघ के चलते ही लालजी टंडन की मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। जब अटल बिहारी ने लखनऊ की सीट को छोड़ा था उसके बाद लालजी टंडन को विरासत के रूप में वो सीट उनको दी गई। उसके बाद 2009 में टंडन ने लोकसभा चुनाव जीता और लखनऊ के सांसद बने।
— Ashutosh Tandon (@GopalJi_Tandon) July 21, 2020
1960 से शुरू हुआ था लालजी टंडन का राजनीतिक सफर
टंडन का राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। साथ ही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।