लखनऊ। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाय जाता है। जन्म के बाद शिशुओं को सबसे ज्यादा जरूरत सम्पूर्ण आहार, प्यार और सुरक्षा की होती है। माँ का दूध शिशु की सारी जरूरतें पूरी करता है, इतना ही नहीं शिशु के जीवन की सही शुरूआत भी देता है। स्तनपान पूरी तरह से प्राकृतिक है। माँ के प्यार की तरह इसकी जगह और कोई नहीं ले सकता है, माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। स्तनपान कराना माँ, बच्चे व समाज सबके के लिए बेहतर होता है,इस वजह से शिशु को छह माह तक केवल और केवल स्तनपान ही मां को कराना चाहिए, इसके अलावा दो वर्ष या उससे अधिक समय तक स्तनपान जारी भी रखना चाहिए, यह कहना है डा. अनुरूद्ध वर्मा का।
डा.अनुरूद्ध वर्मा के मुताबिक माँ का दूध विशेष रूप से शिशु के लिए ही बना है। यह शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए पोषण तो देता है, साथ ही यह पचता भी असानी से है तथा इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्व शिशु को सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षा प्रदान करते है। माँ का दूध विशेष रूप से शिशु को दस्त से सुरक्षा है।
उन्होंने कहा कि जन्म के बाद अगले कुछ दिनों तक आने वाले दूध जिसे (कालेस्ट्रम) कहते है शिशु को जरूर पिलाना चाहिए, क्योंकि यह शिशु को अनेक संक्रामक रोगों व बीमारियों से बचाता है।