नई दिल्ली। गरीबी इंसान से क्या कुछ नहीं कराती इस बात का उदाहरण पेश करती हैं एक ऐसी घटना जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसमें एक लड़की अपने मां-बाप के इलाज के लिए और उनके भरण-पोषण के लिए घर-घर भीख मांग रही हैं। भीख में मिले पैसे से वह माता-पिता, एक बहन और खुद के लिए भोजन की व्यवस्था करती है।
बता दे कि लड़की के घर की हालात इतनी खराब हैं कि जिस दिन भीख में पैसे नहीं मिलते हैं, उस दिन घर में भोजन पर भी आफत हो जाती है। आस-पड़ोस के लोग भूखे देख कभी भोजन का इंतजाम कर देते हैं। चांदनी को हर दिन भोजन का इंतजाम करना अब भारी पड़ रहा है। बता दे कि ये ंपूरी घटना बिहार की हैं।
जगदेव दास के घर पहुंचने पर उसकी बेटी चांदनी फफक कर रोने लगती है. ढाढ़स बंधाने पर वह कहती है पापा पैर से और मां कमर से लाचार है. वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिल रही है। जगदेव दास ने बताया कि बिजली का झटका लगने से वह गिर पड़ा था। काफी इलाज के बाद भी लाचार है. चांदनी की मां मीना देवी कमर की बीमारी से लाचार है. पैसे के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा है. मुखिया प्रतिनिधि राहुल कुमार ने बताया कि चांदनी को भीख नहीं मांगना पड़े, इसके लिए डीलर से प्रत्येक माह नि:शुल्क अनाज दिलाया जा रहा है.
माता-पिता हैं गंभीर बीमारी से पीड़ित
सुलतानगंज की खानपुर पंचायत के आभा रतनपुर गांव निवासी जगदेव दास व उसकी पत्नी मीना देवी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. पैसे के अभाव में इनका इलाज नहीं हो पा रहा है. माता-पिता की लाचारी देख आठ वर्षीया चांदनी गांव और आसपास में घर-घर भीख मांगती है। उसके कंधे पर ही छोटी बहन रूपा की भी जिम्मेदारी है।
चांदनी फफकते हुए कहती है चार बहन हूं। दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। मां-पिता जी दोनों बीमार हैं. वे चल-फिर नहीं सकते हैं। घर में न खाने के लिए अनाज है और न ही इलाज के लिए पैसे. मां-पिताजी में से किसी को भी पेंशन नहीं मिलती है। राशन-केरोसिन का कोटा भी नहीं मिलता है। छोटे से फूस के घर में हमारी जिंदगी कट रही है। पिछले दिनों मुखिया अनिता देवी की पहल पर डीलर ने 15 किलो चावल, 10 किलो गेहूं दिया जाना शुरू किया गया है।