देहरादून। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति यूएस रावत ने कहा कि हिमालय पर अभी भी बहुत सारे शोध किए जाने की आवश्यकता है। हिमालय का इतिहास बहुत समृद्ध है और विभिन्न जातियों और पंथों के लोग यहां सदियों से रह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, तिब्बत और भूटान के बीच लंबे समय से गहरे संबंध हैं।
रावत ने यह बात तिब्बती और हिमालयन स्टडीज ड्रिकुंग कग्यू इंस्टीट्यूट के सोंगत्सेन लाइब्रेरी सेंटर में एक कार्यक्रम में कही, जहां उन्हें मंगलवार को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। आयोजन में उच्च शिक्षा, उत्तराखंड के इतिहास और हिमालय के महत्व पर चर्चा की गई।
रावत ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से नए भाईचारे और संबंधों को स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमालय पर बहुत सारे शोध किए जाने की जरूरत है। उन्होंने आगे इस क्षेत्र में सोंगत्सेन पुस्तकालय में किए गए कार्यों की सराहना की। रावत ने छात्रों को जुनून के साथ कड़ी मेहनत करने और इस क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों को भी छात्रों को जुनून के साथ पढ़ाना चाहिए क्योंकि जीवन में बौद्धिकता बहुत मायने रखती है।
सोंगत्सेन पुस्तकालय के निदेशक ताशी सैम्फेल ने कहा कि शिक्षा के स्तर को बढ़ाकर संस्थान जीवन को बेहतर बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि हिमालय पर काम करने के साथ-साथ भारत और भूटान के बीच वास्तविक संबंधों को बेहतर बनाने की जरूरत है। एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व डीन जेपी पचौरी भी इस कार्यक्रम में शामिल थे। उन्होंने कहा कि हिमालय का अंतरराष्ट्रीय महत्व है। इसे देखते हुए, भारत और भूटान के बीच गहरे संबंध महत्वपूर्ण हैं।