लखनऊ: जगह-जगह धमाचौकड़ी करते बंदरों से भला कौन परेशान नहीं होता। बंदर न केवल शरारती होते हैं, बल्कि वो छोटे बच्चों को काट भी लेते हैं। इसके साथ ही बंदर, इंसानों के किचन में भी घुस जाते हैं और उनका खाना बर्बाद कर देते हैं।
वहीं, अब राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर बंदरों के आतंक को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने एक बार फिर से ठेका जारी किया है।
‘किस्मत’ को मिली जिम्मेदारी
इसके लिए रेलवे ने किस्मत नाम के मंकी हैंडलर को इसका जिम्मा सौंपा है। इसके एवज में उन्हें 15 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। उनकी ड्यूटी सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक लगाई जाएगी। पिछले साल भी किस्मत चारबाग रेलवे स्टेशन में तैनात थे, लेकिन उनका ठेका खत्म हो गया था।
पिछले साल बंदरों से दिलाई थी मुक्ति
पिछले साल जब उनकी चारबाग रेलवे स्टेशन पर तैनाती हुई थी तो वो दो लंगूर लेकर आते थे। इन लंगूरों की मदद से वो चारबाग रेलवे स्टेशन पर जमे बंदरों को भगाते थे।
इससे उन्हें काफी सहूलियत रहती थी, लेकिन बाद में वन्यजीव प्रेमी संगठनों ने मंकी हैंडलर का विरोध शुरू कर दिया, इसके बाद रेलवे प्रशासन ने उन्हें लंगूर लाने से मना कर दिया। इसके बाद किस्मत ने नई तकनीक निकाली और खुद के मुंह से ही बंदरों की आवाज निकालनी शुरू कर दी और बंदरों को भगाना शुरू कर दिया।
लंगूर की आवाज निकालकर भगाते हैं बंदरों को
मंकी हैंडलर को लखनऊ में कई जगहों पर तैनाती मिल चुकी है। जहां-जहां भी बंदरों का आतंक देखा जाता है वहां उनकी सेवाएं ली जाती हैं। इस समय किस्मत चारबाग रेलवे स्टेशन पर तैनात हैं और आज सुबह ही उनको आवाज निकालकर बंदरों को भगाते देखा गया। वो रेलवे के यार्ड के साथ साथ वाशिंग लाइन तक जाकर बंदरों को भगा रहे थे।
चारबाग रेलवे स्टेशन पर रही हलचल
चारबाग रेलवे स्टेशन मंकी हैंडलर को देखकर यात्रियों में हलचल देखी गई। वहीं बंदर भी उनकी आवाज सुनकर इधर-उधर भाग रहे थे। वहीं स्टेशन पर मौजूद यात्री उनकी कला को देखकर बड़े ही कौतुहल से उन्हें निहार रहे थे। मंकी हैंडलर किस्मत 42 साल के हैं और ये हुनर उन्होंने खुद ही पैदा किया है। वो बंदरों के बीच रहते हैं