जालंधर। राजस्थान का वो मामला तो आपको याद ही होगा जिसमें एक मजबूर पति को पैसे न होने की वजह से पत्नी के शव को मीलो कांधे पर लाद कर चलना पड़ा था। उस मामले ने इंसानियत को इतना शर्मसार किया था जिसकी कोई मिसाल ही नहीं। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। जहां एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार होना पड़ा मामला पंजाब के जालंधर का है जहां अस्पताल से शव के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने के बाद निजी वाहन से शव ले जाने के लिए 400 रुपये नहीं होने के कारण एक व्यक्ति को अपने पिता का शव घर ले जाने के लिए रेहड़ी का सहारा लेना पड़ा। जब इलाज के लिए अस्पताल आए पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी मजदूर लालजी की मौत हो गई।
बता दें कि लालजी के बेटे सर्बजीत भी एक मजदूर हैं। पिता की मौत के बाद जब सर्बजीत ने शव घर ले जाने के लिए अस्पताल अधिकारियों से एंबुलेंस मुहैया कराने का आग्रह किया तो अस्पताल वालो ने ये कहकर मना कर दिया कि नियमों के मुताबिक सरकारी अस्पताल शव ढोने के लिए एंबुलेंस नहीं दे सकता। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर वे 400 रुपये देंगे तो एक एंबुलेंस उन्हें मुहैया कराया जा सकता है लेकिन पैसे नहीं होने के कारण सर्बजीत ने मना कर दिया।
इसके बाद सर्बजीत ने अस्पताल परिसर से अपने पिता का शव ले जाने के लिए एक रेहड़ी की व्यवस्था की और अस्पताल के बाहर 150 रुपये किराये में एक ऑटो किया। इस बीच पंजाब सरकार ने लालजी के अंतिम संस्कार के लिए 7,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की। मीडिया की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जिला प्रशासन से मामले पर गौर करने और शोकसंतप्त परिवार को अंतिम संस्कार के लिए हर मुमकिन सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।