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राज्यसभा सांसद की पुस्तक ‘समय का सच’ का मोहन भागवत ने किया विमोचन

Mohan Bhagwat

पटना। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने राज्यसभा सांसद तथा वरिष्ठ भाजपा नेता आर .के.सिन्हा की लिखी हुई दसवीं पुस्तक ‘समय का सच’ का रविवार को यहां विमोचन किया। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की उपस्थिति में पुस्तक का विमोचन करने के बाद मोहन भागवत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यहाँ कहा कि इस पुस्तक में संकलित लेखों से समाज को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। प्रेरक लेखों को अधिक से अधिक लिखे जाने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने श्री सिन्हा की पुस्तक लिखने के लिए सराहना की।

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बता दें कि इस अवसर पर सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद श्री सिन्हा की लेखनी सतत चलती रहती है। उन्होंने कहा कि इनसे दुसरे राजनेताओं को भी प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर मोहन भागवत के अलावा , सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल जी, क्षेत्रीय प्रचारक राम दत्त चक्रधर जी ,प्रांत संघचालक डॉ लल्लन सिँह जी ,प्रान्त प्रचारक रामभूमि प्रसाद जी,सह प्रान्त प्रचारक राणा प्रताप सिँह जी ,क्षेत्र कार्यवाह मोहन जी तथा राजेश जी, और बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा , कृषि मंत्री प्रेम कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, भू राजस्व मंत्री राम नारायण मंडल, श्रम मंत्री विजय सिन्हा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, संगठन मंत्री नागेंद्र जी, पटना की मेयर सीता साहू, कुम्हरार वि.सभा के विधायक अरुण कुमार सिन्हा, बांकीपुर वि.सभा के विधायक नितिन नवीन और दीघा वि.सभा के विधायक संजीव चौरसिया उपस्थित थे।

इससे पहले राजधानी पटना में मोहन भागवत ने विकलांगों के लिए कार्य कर रहे संजय आनंद विकलांग अस्पताल एवं पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया। विकलांग अस्पताल में उन्होंने कहा कि इस तरह की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई समस्या के अनुपात में काम करनेवाले लोग भी निकलते जा रहे हैं। सेवा में संवेदना और स्वयं की प्रेरणा को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि संवेदनापूर्ण सेवा से देश के अंदर सेवा कार्य उत्कृष्टता को प्राप्त करेगा।

वहीं मोहन भागवत ने कहा कि इन कार्यों में पैसे से ज्यादा जरूरत मानसिक सहयोग की होती है। धनी लोग भी सेवा कार्य करते हैं लेकिन उनका मॉडल स्वयंसेवकों के मॉडल से अलग होता है। स्वयंसेवक मन की संवेदना के साथ सेवा कार्य प्रारंभ करता है और निरंतर करते जाता है। उन्होंने कहा कि इस निरंतर कार्य के साथ साधन संपन्न लोग भी जुड़ते चले जाते हैं जिसका पटना स्थित भारत विकास विकलांग अस्पताल अप्रतिम उदाहरण है।

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