अयोध्या – एक साल पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर अयोध्या जिले में रहने वाले मोहम्मद शरीफ को पद्म अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने का एलान हुआ था। अब एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन उन्हें न तो अवॉर्ड का पदक मिला है और न ही प्रशस्ति पत्र। बता दे कि उन्हें ये अवार्ड इसीलिए दिया जाना था क्योकि आज तक मोहम्मद शरीफ 25 हज़ार से ज़्यादा लावारिस लाशो का अंतिम संस्कार कर चुके है।
पैसो के लिए परेशान है परिवार –
83 वर्ष के मोहम्मद शरीफ को एक साल पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्म अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने का एलान हुआ था। अब एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन मोहम्मद शरीफ को न तो अवॉर्ड का पदक मिला है और न ही प्रशस्ति पत्र। परिवार के लोग परेशान है। मोहम्मद शरीफ इस समय बहुत बीमार चल रहे है। और किराये के मकान रहे है। मोहम्मद शरीफ साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते थे, जो अब बंद पड़ी है। और साथ ही ये बता दे कि और उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो किसी अच्छे अस्पताल में उनका इलाज करा सकें।
अपने बेटे को भी खो चुके है –
बता दें कि करीब 28 साल पहले सुल्तानपुर की एक ट्रेन में शरीफ की बेटे की हत्या कर दी गई थी। मोहम्मद शरीफ के बेटे की हत्या इसलिए कर दी गई थी क्योंकि वो किसी मजलूम की इज्जत-आबरू और सम्मान को बचाना चाहता था। मोहम्मद शरीफ के बेटे को रेल की पटरियों के किनारे फेंक दिया गया था। पुलिस ने अपनी सूझबूझ दिखाते हुए इनके बेटे की शर्ट के कॉलर के नीचे लगे हुए स्टीकर से शरीफ को खोजा था और उनके घर पहुंची थी। उस दिन के बाद से मोहम्मद शरीफ ने तय किया कि कोई भी लावारिस लाश हो उसका अंतिम संस्कार वो करेंगे। वो अब तक 25 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके है। एक साल पहले अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने का एलान होने के बाद लावारिस लाशों के मसीहा मोहम्मद शरीफ ने इच्छा जताई थी कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित करे। लेकिन आज तक उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हुई है।