नई दिल्ली। पांच राज्यों (असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी) में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। नतीजे जहां भारतीय जनता पार्टी के चेहरे पर खुशी लेकर आए हैं वहीं कांग्रेस के लिए हताशा हाथ लगी है। पांच सूबों में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि मोदी का जादू अभी भी जनता के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसे मोदी के करिश्माई शख्सियत का नतीजा ही कहा जा सकता है कि असम में भाजपा ने इतिहास रच दिया है। असम में भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल जैसे युवा नेता को जनता ने चुना है और कांग्रेस के अस्सी बरस से भी अधिक के बुजुर्ग नेता तरुण गोगोई को नकारा है।
कांग्रेस असम और केरल में सत्ता से बाहर हो गई है तो तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में उसकी हालत पहले से भी बदतर हो गई। राज्यों में क्षेत्रीय दलों से गठबंधन का मामला हो या प्रचार की आक्रामक शैली कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास बीजेपी के मोदी-शाह की रणनीतियों का जवाब नहीं था। असम में भाजपा के उठाए मुद्दों पर कांग्रेस अधिकतर चुप रही। वहीं अन्य राज्यों में मजबूत क्षत्रपों के सामने भी मोदी और भाजपा को निशाना बनाने की वजह से भी कांग्रेस उलझी रही।
पश्चिम बंगाल और तलिमनाडु में भी भाजपा ने अपना प्रभाव साबित किया है। बंगाल में तकरीबन सात से आठ सीटों के साथ भाजपा ने अपना दम दिखाया है तो वहीं तमिलनाडु जैसे मुश्किल सूबे में भी दो सीटों पर बढत बनाई हुई है। असम के अलावा बाकी सूबों में भाजपा के वोट शेयर में बढोतरी पार्टी के भविष्य के रास्ते को लेकर अच्छा संकेत है। वहीं केरल और असम से कांग्रेस की विदाई तो हुई ही है। साथ ही देश की सबसे पुरानी पार्टी का बंगाल और तमिलनाडु में गठबंधन प्रयोग पूरी तरह विफल रहा है।
जनता का संदेश एकदम साफ है। जो भी काम करेगा और काम की बात करेगा जनता उसी के साथ जाएगी। पिछले दो बरसों से केंद्र में मोदी सरकार का प्रदर्शन और भाजपा की सकारात्मक राजनीति से जनता के भी बीच एक अच्छा और स्वस्थ संदेश गया है। संप्रग सरकार के दौरान घोर निराशा में जी रही जनता को बाहर निकलने का मार्ग आखिरकार मोदी ने ही दिखाया है।