नई दिल्ली। मोदी लहर के आगे साल 2014 के चुनावों में विपक्ष के परखच्चे उड़ गए थे और बीजेपी ने इतिहास रचते हुए पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पाई थी,लेकिन धीरे-धीरे मोदी लहर कम हो रही है इसमे कोई दो राय नहीं है। दरअसल जिस बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 282 सीटे जीतकर इतिहास रचा था, वो बीजेपी लगातार हुए उपचुनाव में हार के बाद 273 सीटों पर पहुंच गई है मतलब बहुमत के आकड़े से सिर्फ एक सीट ज्यादा। बीजेपी को दो सीटों पर झटका तो बुधवार को हुए गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के नतीजों के बाद लगा है। बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में बीजेपी को विपक्ष की एकता के आगे भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
बसपा और सपा ने मिलकर बीजेपी को गोरखपुर और फूलपुर में धूल चटाई है, जिससे ये साफ है कि अगर 2019 में विपक्षी एकता एक साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो जाएगा। देखा जाए तो 2014 में बीड़ और वडोदरा में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने करीब 7 लाख और 3 लाख के अंतर से उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद माना गया था कि मोदी लहर देश में बाकी है, लेकिन साल 2015 में इस लहर को झटका लगना शुरू हो गया और रतलाम सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2017 और 2018 में हुए 5 लोकसभा उपचुनावों में ये लहर और भी हल्की पड़ गई और बीजेपी ने गुरदासपुर, अलवर, अजमेर के साथ-साथ फूलपुर और गोरखपुर सीटें भी गवां दी।
वहीं गुजरात चुनाव से ठीक पहले भाजपा सांसद नानाभाऊ पटेल ने गोंदिया-भंडारा लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। पटोले ने किसानों के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए पार्टी को छोड़ दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2014 के बाद से भाजपा अपनी 9 सीटें गवां चुकी हैं। इन सीटों में गोंडिया (महाराष्ट्र) फूलपुर (यूपी), गोरखपुर (यूपी) , अजमेर (राजस्थान) , अलवर (राजस्थान), गुरदासपुर (पंजाब), रतलाम (मध्यप्रदेश), कैराना (उत्तर प्रदेश), पालघर (महाराष्ट्र) शामिल हैं।