- भारत खबर || देहरादून
Modi Govt vs UPA Govt: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मीडिया सेंटर, सचिवालय में प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों की सबसे बड़ी हितैषी सरकार है। संसद में सरकार द्वारा पारित कराए गए कृषि विधेयकों से किसानों की दशा और दिशा में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे।
इन विधेयकों में ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे किसान स्वयं अपनी उपज को अच्छी कीमतों पर मंडी में या मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकेगा। इसमें बिचैलियों की भूमिका खत्म कर दी गई हैं। यानि जो मुनाफा किसान से बिचैलिये उठाते थे, वो पैसा अब सीधा किसान की जेब में जाएगा। इन कृषि विधेयकों से एक राष्ट्र एक बाजार की संकल्पना को मजबूती मिल रही है। किसान अब सीधे बाजार से जुड़ सकेंगे।
किसानों को बरगला रहे कुछ लोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग किसानों को बरगलाने और उकसाने का काम कर रहे हैं। उनसे झूठ बोला जा रहा है। परंतु किसानों को स्वयं इन कृषि सुधारों को समझना चाहिए। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि प्रधानमंत्री जी की सोच सदैव किसानों के कल्याण के लिए रही है। इसी सोच के साथ ये सुधार किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी जी हमेशा से किसानों के हितैषी रहे हैं। वे जब गुजारत के सीएम थे तो उन्होंने वहां किसानों के लिए 7 घंटे नियमित और निश्चित बिजली की व्यवस्था की। उन्होंने कृषि महोत्सवों की शुरूआत की। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी किसान हमेशा उनकी प्राथमिकताओं में रहे। उनकी सरकार में गांव, गरीब और किसानों का सबसे पहले ख्याल रखा गया है।
मोदी सरकार ने बढ़ाया कृषि मंत्रालय का बजट
वर्ष 2009 में यूपीए की सरकार में कृषि मंत्रालय का बजट केवल 12 हजार करोड़ रूपए था जो आज कई गुना बढ़ाकर 1 लाख 34 हजार करोड़ किया गया है। पहले कभी भी केंद्र सरकार एक साल में 75 हजार करोड़ रूपए किसानों के हित में खर्च नहीं कर पाई थी। लेकिन मोदी सरकार ने यह मुमकिन कर दिया। पीएम किसान योजना से अब तक 92 हजार करोड़ रूपए सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं। इन तर्कों से लग रहा है कि त्रिवेंद्र सिहं रावत Modi Govt vs UPA Govt की बारीकियों को गहराई से समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। इसके अलावा मत्स्य पालन के लिए 20 हजार करोड़, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़, हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए 1 हजार करोड़ रूपए का पैकेज स्वीकृत किया।
Modi Govt vs UPA Govt: किसानों मिल रहा ज्यादा कर्ज
यूपीए के समय किसानों को 8 लाख करोड़ का कर्ज मिलता था, आज 15 लाख करोड़ का ऋण सालाना दिया जा रहा है। यूपीए के समय स्वामीनाथन आयेाग ने कृषि कल्याण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, लेकिन उस समय इन्हें लागू नहीं किया गया। आज मोदी सरकार ने न सिर्फ स्वामीनाथन रिपोर्ट के सुझावों को लागू किया बल्कि उसमें और अधिक प्रावधान जोड़कर किसानों का हित तलाशा है।
इसी प्रकार मोदी सरकार में विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य काफी बढ़ाया गया है। वर्ष 2015-16 में धान का एमएसपी 1410 रू/कुंतल था जो आज 1925 रू/कुंतल हो गया है। गेहूं की एमएसपी में रू50/ कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले रू1925/ कुंतल थी अब रू1975/ कुंतल हो गई। चने की एमसएसपी में रू 225/कुंतल की वृद्धि हुई।
पहले रू 4875/ कुंतल थी अब रू 5100/ कुंतल हो गई। जौ की एमएसपी में रू 75/ कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले रू 1525/ कुंतल थी अब रू 1600/ कुंतल हो गई। मसूर की एमएसपी में रू 300/ कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले रू 4800/ कुंतल थी अब रू 5100/ कुंतल हो गई। सरसों की एमएसपी में रू 225/कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले रू 4425/ कुंतल थी अब रू 4650/ कुंतल हो गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को दो तरफा फायदा दिया है। अगर किसान मंडी में उपज बेचता है तो उसे ऊंची एमएसपी पर कीमत मिलेगी। और मंडी से बाहर बाजार में बेचता है तो उसे ऊंची कीमत के साथ तकनीक का भी लाभ मिलेगा। इन विधेयकों से बिचैलियों की भूमिका खत्म होगी और किसान अपनी फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।