featured देश यूपी राज्य

मोदी सरकार ने मांगी SC से आयोध्या विवादित जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की इजाजत

pm modi मोदी सरकार ने मांगी SC से आयोध्या विवादित जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की इजाजत

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गैर- विवादित जमीन 67 एकड़ जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की इजाजत मांगी है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि यथास्थिति को हटाते हुए 67 एकड़ गैर विवादित जमीन को उसके मालिकों को वापस करने की अनुमति दी जाए। 1993 में अयोध्या में विवादित स्थल सहित आसपास की करीब 70 एकड़ जमीन का केंद्र सरकार ने अधिग्रहण किया था। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि अयोध्या मामले में महज 0.313 एकड़ जमीन पर ही विवाद है और बाकी जमीन पर यथास्थिति रखने की जरूरत नहीं है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि अयोध्या में विवादित स्थल के आस-पास की हिंदू पक्षकारों की जो जमीन अधिग्रहित की गई थी। उसे रामजन्मभूमि न्यास को सौंप दिया जाए।

pm modi मोदी सरकार ने मांगी SC से आयोध्या विवादित जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की इजाजत

 

बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने 1993 में अध्यादेश लाकर विवादित स्थल और आस-पास की जमीन का अधिग्रहण किया था। इसमें 40 एकड़ जमीन रामजन्मभूमि न्यास की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की याचिका में कहा कि हम चाहते हैं कि इसे उन्हें वापस कर दी जाए ताकि विवादित भूमि तक पहुंचने का रास्ता वगैरह बनाया जा सके। इस्माइल फारुकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि जो जमीन बचेगी उसे उसके सही मालिक को वापस करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर है। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी जजमेंट में 1994 में तमाम दावेदारी वाले अर्जी को बहाल कर दिया था।

वहीं कोर्ट ने जमीन को सरकार के पास ही रखने को कहा था और आदेश दिया था कि जिसके पक्ष में फैसला आएगा उसके बाद सरकार जिनकी जमीनें हैं। उन्हें सौंप दे। अयोध्या विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को फैसला दिया था। अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांट दिया था। जिसमें रामलला विराजमान वाला हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया। दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया है। हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद 9 मई, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

Related posts

अमेरीकाः अज्ञात हमलाबरों ने अखबार के दफ्तर पर 5 लोगों की गोली मारकर की हत्या, एक गिरफ्तार

mahesh yadav

पाक ने फिर तोड़ा सीजफायर, पुंछ सेक्टर में कर रहा है गोलीबारी

shipra saxena

पूरे देश में हैं गणपति विसर्जन की धूम, जाने क्यो किया जाता है विसर्जित

mohini kushwaha