अग्नि-1: अग्नि-1 पर काम 1999 में शुरु हुआ था लेकिन परीक्षण 2002 में किया गया। इसे कम मारक क्षमता वाली मिसाइल के तौर पर विकसित किया गया था। यह 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। ताजा परीक्षण में भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न प्रक्षेपास्त्र का दिसंबर 2011 में फिर से सफल परीक्षण किया। इससे पहले 25 नवंबर 2010 को अग्नि- 1 मिसाइल का इसी द्वीप से सफल परीक्षण किया गया था। अग्नि -1 को पहले ही भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है लेकिन सेना से जुड़े लोगों के प्रशिक्षण और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए इसका समय-समय पर प्रायोगिक परीक्षण किया जाता है।
अग्नि -2: जमीन से जमीन तक मार करने वाली अग्नि-2 मिसाइल का व्हीलर आईलैंड से मई 2010 में सफल परीक्षण किया। इससे पहले 2009 में दो बार परीक्षण असफल हो गया था। अग्नि-2 मिसाइल की मारक क्षमता दो हजार किलोमीटर है और ये एक टन तक का पेलोड ले जा सकती है। इसमें अति आधुनिक नेवीगेशन सिस्टम और तकनीक है। ये पेंसिल की आकृति जैसी है। सितंबर 2011 में एक बार फिर अग्नि-2 का सफल परीक्षण किया गया। अग्नि-2 भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है।
अग्नि -3: भारत ने परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल अग्नि-3 का पहले 2006 में परीक्षण किया जिसे आंशिक रूप से ही सफल बताया गया। इसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है। ये जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है.फिर 2007 और 2008 में अग्नि-3 का सफल प्रशेपण किया गया। अग्नि 3 का चौथा परीक्षण फरवरी 2010 में उड़ीसा के पास व्हीलर आईलैंड में किया गया। 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली ये मिसाइल 17 मीटर लंबी है और डायामीटर (व्यास) दो मीटर है। ये 1.5 टन का पेलोड ले जा सकता है। इसमें अति आधुनिक कम्प्यूटर और नेवीगेशन सिस्टम है।
अग्नि -4: उड़ीसा के व्हीलर द्वीप से करीब तीन हज़ार किलोमीटर से अधिक दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल अग्नि-4 का सफल प्रक्षेपण नवंबर 2011 को किया गया। इसमें कई तरह की नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लगभग एक हज़ार किलोग्राम के पेलोड क्षमता वाली अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2 मिसाइल का ही उन्नत रूप है। पहली बार इसका प्रक्षेपण 2010 में दिसंबर में हुआ था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से ये सफल नहीं हो पाया था।
पृथ्वी सीरीज मिसाइल
वर्ष 2011 में उड़ीसा के चांदीपुर से पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर है। पृथ्वी 2 का कई बार सफल परीक्षण किया जा चुका है। पृथ्वी-2 सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। इसमें किसी भी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल को झांसा देकर निशाना साधने की क्षमता है। पृथ्वी रेंज की मिसाइलें भारत ने स्वदेशी तकनीक से विकसित की है और भारतीय सेना में इसे शामिल किया जा चुका है। भारत के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत पृथ्वी पूर्ण रुप से स्वदेश में निर्मित पहला बैलेस्टिक मिसाइल है। पृथ्वी का परीक्षण समय-समय पर प्रयोगिक क्षमता जाँचने के लिए किया जाता है। पृथ्वी के ज़रिए 500 किलोग्राम तक के बम गिराए जा सकते हैं और यह द्रवित इंजन से संचालित होती है।
धनुष मिसाइल
धनुष मिसाइल को नौसेना के इस्तेमाल के लिए विकसित किया गया है और यह 350 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद सकती है। ये पृथ्वी मिसाइल का नौसनिक (naval) संस्करण है इसकी लंबाई दस मीटर और चौड़ाई एक मीटर है और यह भी 500 किलोग्राम तक के हथियार ढो सकती है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है और निर्माण भारत डाइनेमिक्स लिमिटिड ने किया है।
त्रिशूल मिसाइल
त्रिशूल भारत द्वारा विकसित एक कम दूरी की सतह से हवा में मिसाइल है त्रिशूल 9 किमी (5.6 मील) मारक क्षमता का ठोस ईधन वाला प्रक्षेपास्त्र है। त्रिशूल 130 किलो (290 पौंड) वजन का होता है और एक बार में 15 किलो युद्ध विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। त्रिशूल सुपरसोनिक गति से उड़ता है।
शौर्य मिसाइल
शौर्य प्रक्षेपास्त्र एक कनस्तर से प्रक्षेपित सतह से सतह पर मार करने वाला सामरिक प्रक्षेपास्त्र है जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है। इसकी मारक सीमा ७५०-१९०० किमी है तथा ये एक टन परंपरागत या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। यह किसी भी विरोधी के खिलाफ कम – मध्यवर्ती श्रेणी में प्रहार की क्षमता देता है।
प्रहार मिसाइल
प्रहार, हर मौसम में, हर इलाके में, बहुत सटीक, काम लागत, त्वरित प्रतिक्रिया सम्पन्न सामरिक हथियार प्रणाली है। यह मिसाइल कम दूरी के सामरिक युद्ध के मैदान में भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की अपेक्षाओं को पूरा करता है । यह मोबाइल प्रक्षेपण लांच पैड से छह मिसाइलें छह अलग अलग लक्ष्यों पर पूरे दिगंश (azimuth plane) को कवर करते सभी दिशाओं में दागा जा सकता है |
नाग मिसाइल
नाग प्रक्षेपास्त्र एक तीसरी पीढ़ी का भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र है। यह उन पाँच (प्रक्षेपास्त्र) मिसाइल प्रणालियों में से एक है जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है।
अमोघ मिसाइल
अमोघ -1, एक दूसरी पीढ़ी, टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल है जो 2.8 किमी की सीमा में लक्ष्य पर एक पिन की नोक के अंतर जितनी सटीकता से वार कर सकता है। यह हैदराबाद में भारत डायनेमिक्स द्वारा विकसित किया जा रहा है।
सागरिका मिसाइल
भारत के पास सागरिका नाम की ऐसी मिसाइल भी है जो समुद्र में से दागी जा सकती है और जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सबमरीन लाँच्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) सागरिका को 2008 में विशाखापत्तनम के तटीय क्षेत्र से छोड़ा गया था। यह मिसाइल 700 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। इस तरह की मिसाइलें चंद ही देशों के पास हैं।
आकाश मिसाइल
2003 में भारत ने ज़मीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल का परीक्षण किया। 700 किलोग्राम के वज़न वाली ये मिसाइल 55 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है। इसकी गति 2.5 माक है.आकाश मिसाइल प्रणाली कई निशानों को एक साथ भेद सकती है और मानवरहित वाहन, युद्धक विमान और हेलीकॉप्टरों से दागी मिसाइलो को नष्ट कर सकती है। इस प्रणाली को भारतीय पेट्रीयट कहा जाता है। आकाश मिसाइल प्रणाली 2030 और उसके बाद तक भारतीय वायु सेना का अहम हिस्सा रहेगी।
प्रहार जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइल है जिसका जुलाई 2011 में परीक्षण किया गया। इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है। ये कई तरह के warhead ले जाने की क्षमता रखता है। इसकी लंबाई 7.3 मीटर, वजन 1280 किलोग्राम और डायामीटर 420 मिलीमीटर है। 200 किलोग्राम का पेलोड ले जाने की क्षमता रखने वाली इस मिसाइल का रिएक्शन टाइम काफी कम है यानी प्रतिक्रिया काफी जल्दी होती है। इसे डीआरडीओ ने दो साल से भी कम समय में विकसित किया है। ये मल्टी बैरल रॉकेट और मध्यम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के बीच की खाई को कम करती है।
शौर्य मिसाइल
कम दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल भारतीय थल सेना के लिये बनाई गई। इसमें 1000 किलोग्राम तक परमाणु सामग्री भरी जा सकती है। इसकी रेंज 600 किलोमीटर की है।
मोक्षित मिसाइल
इस मिसाइल की तकनीक रूस से इंपोर्ट की गई है। इसकी रेंज 120 किलोमीटर है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ नौसेना में किया जा सकता है।
हेलिना मिसाइल
नाग, तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक मिसाइल भारत में विकसित है। Helina, (हेलीकाप्टर प्रक्षेपित-नाग) 7-8 किलोमीटर की दूरी के मारक क्षमता के साथ एचएएल ध्रुव और हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर से लांचर से प्रक्षेपित किया जा सकता है
हेलिना ‘नाग’ का हेलीकॉप्टर से दागा जा सकने वाला संस्करण है और इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है । नाग, मिसाइल की विशेषता है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है। हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है। इन्फैन्ट्री कॉम्बेट व्हीकल बीएमपी-2 नमिका से भी इस मिसाइल का दागा जा सकेगा।
निर्भय मिसाइल
नाम से ही पता चलता है कि इस मिसाइल को किसी का डर नहीं। जी हां यह सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल थल, जल और वायु तीनों सेनाओं के लिये किया जायेगा। निर्भय की रेंज 1000 किलोमीटर होगी। इसका निर्माण डीआरडीओ में चल रहा है। संभवत: इसी साल के अंत तक इसका परीक्षण किया जाये।
सूर्या मिसाइल
यह मिसाइल अभी तैयार नहीं है। इसका निर्माण 1994 से डीआरडीओ में चल रहा है। हालांकि भारत सरकार ने अभी तक अधिकारिक रूप से इस मिसाइल के बारे में एक भी खुलासा नहीं किया है। यह भारत की पहली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल होगी। इसकी क्षमता अग्नि से कहीं अधिक 5000 से 10000 किलोमीटर तक मार करने वाली होगी। सामने फोटो सूर्या मिसाइल की नहीं है, क्योंकि इस मिसाइल की अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
ब्रहमोस मिसाइल
ब्रहमोस 290 किलोमीटर तक की मार करने की क्षमता रखता है और इसका वजन तीन टन है। ये जहाज, पनडुब्बी और हवा समेत कई प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है। ये मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 गुना ज्यादा गति से उड़ान भर सकती है। मार्च 2012 को हुए अभ्यास परीक्षण के बाद ब्रहमोस मिसाइल प्रणाली अब सेना की दो रेजीमेंट में पूरी तरह ऑपरेशनल हो गई है।
DRDO, एंटी रेडिएशन (विकिरण रोधी) मिसाइलों का निर्माण कर रहा है यह दुश्मन के रडार और अन्य ऊर्जा ट्रांसमीटरों को नष्ट कर देते हैं। प्रतिरक्षी और डिफेंस मिसाइल सिस्टम उच्च ऊंचाई अवरोधन के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) मिसाइल पृथ्वी डिफेंस एडवांस डिफेंस सिस्टम उन्नत वायु रक्षा (AAD) प्रणाली से कम ऊंचाई अवरोधन के लिए मिसाइल विकसित किया गया है।
S-300 ( लागू ) s-400 ( रुसी डिफेंस सिस्टम सौदे की अवस्था में ) एयर डिफेंस शिल्ड खुद की डिफेंस सिस्टम शौध व परिक्षण की अवस्था में । पुर्ण होने पर प्रथम दिल्ली और द्वितीय मुंबई, मिसाइल हमलो से सुरक्षित हो जाएंगे ।