राज्य उत्तराखंड

चार धाम यात्रा को लेकर मंत्री सतपाल महाराज ने आध्यात्मिक सर्किट के बारे में बताया

satpal maharaj

ऋषिकेश। किसी भी स्थान को जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। वहां कि सड़कों पर पैदल चलना। वहां कि नैसर्गिक सुंदरता की प्रशंसा करना और एक दूसरे से अनुभव बांटना। इसी को लेकर कुछ विश्व प्रसिद्धतम पर्वतीय पैदल स्थानों में से कुछ के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

satpal maharaj
satpal maharaj

छोटा चार धाम सर्किट

छोटा चार धाम हिमालय में स्थित महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल है। उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल में स्थित इस सर्किट में चार मुख्य स्थल है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ हैं। ऐसा मनाना जाता है कि पांडवों ने चारधाम का निर्माण किया और आदि गुरू शंकराचार्य ने आठवीं सदी में नाम देकर अलंकृत किया। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां अपनी तार्थयात्रा पूरी करते हैं। पांडवों का वक्त आज से लगभग 3000 साल पहले का माना जाता है। इसे प्रचीनता सर्किट कहा जा सकता है।

छोटा चार धाम का उद्गम

यमनोत्री यमुना नदी का उद्गम स्थल और माता यमुना का स्थल है। ये यात्रा का पहला विराम है। उनकी चट्टी से 7 किलोमीटर चढ़ाई कर यहां पहुंचा जा सकता है। गंगोत्री से गंगा नदी निकलती है और माता गंगा यहीं विराजती है। सड़क मार्ग से यहां सीधे पहुंचा जा सकता है। केदारनाथ भगवान शिव का स्थान और बारह ज्योतिलिंग में से एक है। मंदिर का गौरी कुण्ड से 18 किलोमीटर का पैदल रास्ता है। बद्रीनाथ भगवान विषणु का बद्रीनाथ के रूप में पूजनीय स्थल है। सड़क से सीधे मंदिर तक आया जा सकता है। कई यात्री देश-विदेश से छोटा चार धाम के दर्शन करने आते हैं।

अन्नपूर्णा सर्किट

अन्नपूर्णा सर्किट नेपाल में अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला में पैदल मार्ग है। मार्ग की कुल लंबाई 180 से 230 किलोमीटर के बीच है। ये पूर्व में मनंग मार्ग को पश्चिम में मस्तांग के प्रसिद्ध मुक्तिनाथ मंदिर को जोड़ता है। यात्रा- मार्ग पूरा करने में कुल 15 से 20 दिन लगते हैं। लगभग 2000 लोग हर साल यहां यात्रा पर आते हैं ौर हर साल यह संख्या बढ़ रही है। इतिहास- सबसे पहले अन्नपूर्णा सर्किट का मार्ग मॉरिस हरजोग और लुई लाकाहेनल ने 3 जून 1950 को तय किया था। उसके बाद इस मार्ग को 1977 में विदेश यात्रियों के लिए खोला गया।

इनका सर्किट

इनका सर्किट काी स्थापना लगभग 1450 सदी में इनका राजाओं ने की यह सुंदर मार्ग 82 किलोमीटर कुस्को रेलमार्ग के साथ होने के कारण इसे 82 किलोमीटर कहा जाता है और इसका राजाओं के अवशेषों रनकरेके, सायकमारका, विनेवायना और माचू पिचू से होता हुआ जाता है।

Related posts

कार्ति चिदंबरम को लेकर मुंबई जेल पहुंची सीबीआई, इसी जेल में बंद है इंद्राणी मुखर्जी

Rani Naqvi

Almora: कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की पीएम मोदी के परीक्षा कार्यक्रम पर चर्चा, अधिकारियों को दिए निर्देश

Rahul

बिहार में बीजेपी संगठन मजबूत करने के साथ सरकार में मजबूती दिखाने में जुटी

Rani Naqvi