नई दिल्ली। अमृतसर धोबी घाट पर रावण दहन के दौरान हुए हादसे को लेकर सवालों के घेरे में रेलवे प्रशासन भी है। इसको लेकर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने बड़ी ही साफगोई से कहा कि इस घटना में किसी जांच की कोई जरूरत नहीं दिखाई दे रही है। उन्होने कहा कि रेलवे प्रशासन की घटना में कोई गलती नहीं है। जिस जगह ये हादसा हुआ वह स्थल गेट से 300 मीटर दूर है। इसके साथ ही वहां पर ट्रैक पर लोगों की भीड़ को जाने से रोकने का काम स्थानीय प्रशासन का है,रेलवे का नहीं स्थानीय प्रशासन की गलती से हादसा हुआ है।
उन्होने कहा कि इस हादसे की राजनीति नहीं की जानी चाहिए। घटना काफी ह्रदय विदारक है, जो हुआ है वो दुखद है। इस ट्रैक के पास हो रहे इस कार्यक्रम को लेकर रेलवे प्रशासन के पास कोई सूचना आयोजकों ने नहीं दी थी। वहां पर पटरी में टर्न है स्थल पर भीड़ काफी थी। जो कि रेलवे ट्रैक तक आ गई थी, टैक पर टर्न की वजह से ड्राइवर को भीड नहीं दिखी और गाडियां स्पीड में ही चलती है। इसलिए ट्रैक पर बैठे और खड़े लोग इस ट्रेन की रफ्तार के शिकार हो गए।
रेल राज्यमंत्री ने गेटमैन और ड्राइवर को लेकर सफाई देते हुए दोनों की किसी भी गलती से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही इस आरोप की गेंद को वापस राज्य प्रशासन के पाले में डाल दिया है। अब आरोप आयोजकों और प्रशासनिक अमले पर लगा है। सूबे में प्रशासन देखने का काम राज्य सरकार का है। कार्यक्रम के आयोजक भी कांग्रेस के पार्षद थे। कार्यक्रम में भी कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर स्वयं आई थीं। ऐसे में अब कांग्रेस के लिए इस दाग को धुलना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है।