चंडीगढ़। पंजाब के बिजली एवं सिचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दरअसल अपने रसोइए के नाम पर खनन रेत की खड्ढे लेने समेत कई मामलों में विपक्ष के निशाने पर चल रहे थे। कांंग्रेस अध्यक्ष राहूल गांधी ने राणा गुरजीत का नाम इस तरह से कारोबारी में आने से सरकार की हो रही किरकरी के चलते लिया है। मुख्यमंत्री ने इस्तीफा स्वीकार किया है या नहीं, इस बारे में आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन खुद राणा गुरजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है इसलिए अब इसे मंजूर करना न करना पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों में है।
उन्होंने कहा कि मैं और मेरे कर्मचारियों पर जब रेत की खड्डें लेने का आरोप लगा, तो मैंने अपना इस्तीफा कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंप दिया। इस बारे में इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहना चाहता। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के अंदरूणी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने ही कैप्टन अमरिंदर सिंह से गुरजीत का इस्तीफा लेने के कहा है। हालांकि कैप्टन ने इस्तीफा ले लिया है, लेकिन अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया है। आपको बता दें कि पिछले साल जब रेत की खदान की नीलामी हुई थी, तो नवांशहर से संबंधित कुछ खड्ढे राणा गुरजीत सिंह के सहयोगी कैप्टन जेएस रंधावा ने लिए थे।
फ्रंट मैन के रूप में उनके रसोइए अमित बहादुर ने इन खड्डों की अग्रिम राशि का भुगतान किया था। इसके अलावा उनके दो और कर्मचारियों ने भी उनके नाम पर खड्डें लीं।उनके अपने सिंचाई विभाग में 1000 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप झेल रहे गुरिंदर सिंह ठेकेदार से उनके रसोइए अमित बहादुर की कंपनी राजबीर एंटरप्राइसिस की ओर से पांच करोड़ रुपये लेने का मामला भी सामने आया। उनके बेटे भी इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में सम्मन किया हुआ है। विभिन्न आरोपों को लेकर वह पिछले कई महीनों से विपक्ष के निशाने पर आ गए थे।