राजस्थानः गहलोत सरकार ने कैबिनेट की पहली बैठक में कई बड़े फैसले लिए हैं। गहलोत सरकार ने पिछली सरकार की योजनाओं को फिर से रिव्यू करने का निर्णय लिया है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कांग्रेस की जिन योजनाओं को बंद किया था उसको फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा गहलोत सरकार ने पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म की।
सरकार ने पहली कैबिनेट में डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। मालूम हो कि वसुंधरा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन दोनों विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया था।
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गहलोत सरकार ने स्थानीय निकायों में मेयर, सभापति और चेयरमैन के चुनाव अब सीधे होंगे। इसके पहले वसुंधरा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार के फैसले को पलटते हुए पार्षदों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों के द्वारा सभापति और चेयरमैन कराने का नियम लागू किया था।
पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म कर दी गई है। पिछली वसुंधरा सरकार के समय पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता के मापदंड निर्धारित किए गए थे जिसमें आठवीं से लेकर 10वीं पास लोग ही चुनाव लड़ सकते थे। सरपंच, प्रधान और दूसरे स्थानीय निकायों के पदों के लिए आठवीं और दसवीं पास होना जरूरी था।
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कांग्रेस की पहली कैबिनेट में 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी का भी संकेत मिला है। राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में वृद्धावस्था पेंशन योजना को 500 से बढ़ाकर 750 और 750 की कैटेगरी को बढ़ाकर 1000 किया है। राज्य में ठेके पर काम करने वाले संविदा कर्मियों, एनआरएचएम, पारा शिक्षक, उर्दू पारा शिक्षक ,लोक जुंबिश कर्मियों, आंगनबाड़ी, विद्यार्थी मित्रों, पंचायत सहायकों का आंदोलन राजस्थान में काफी दिनों से चल रहा था। उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है।