इंदौर। जीएसटी के विरोध में व्यापारियों की बुधवार को हड़ताल रही और गुरुवार को कामकाज शुरू हुआ, लेकिन सूरत से माल नहीं आने के कारण व्यापार पर सीधा असर पड़ रहा है। राखी, दिवाली पर भी अब व्यापार होना मुश्किल है। राखी तो एक माह बाद आ रही है लेकिन बाजार में माल नहीं आया। प्रशासन द्वारा सूरत में व्यापारियों के साथ मारपीट की घटना के बाद बुधवार को राजधानी भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के अधिकांश कपड़ा बाजार बंद रहे। हर दिन 500 से 600 गठानें इंदौर आती हैं लेकिन अब नहीं आ रही है। शहर में थोक और फुटकर व्यापार मिलाकर 10 से 12 करोड़ का व्यापार एक दिन में होता है। यही हाल रहा तो इंदौर के कपड़ा बाजार में हाहाकार मचेगा और यहां काम करने वाले लोगों को दूसरे काम ढूंढ़ने पड़ेंगे।
बता दें कि एक जुलाई से लागू हुए जीएसटी को लेकर व्यापारिक संगठनों ने अपना विरोध जताया था और एक दिन पहले 30 जून को इंदौर भी बंद रखा था। कल कपड़ा व्यापारियों ने बाजार बंद रखा और आज भी बाजार में इसका असर है। सूरत में व्यापारियों पर लाठीचार्ज के विरोध में इंदौर में यह बंद था। जीएसटी को लेकर व्यापारी आक्रोशित है और समझ नहीं पा रहे है कि व्यापार कैसे करे। सूरत से एक दिन में करीब 600 गठानें आती हैं और यहां थोक व्यापारी अपना व्यापार करते है। यहां से फुटकर व्यापारी भी माल ले जाते है जो पूरे शहर सहित आसपास के शहरों में भी व्यापार होता है। कपड़ा बाजार और सीतलामाता बाजार थोक व्यापार का केन्द्र है।
वहीं इंदौर की पहचान भी कपड़ा व्यापार से होती है। 10 से 12 करोड़ का व्यापार यहां एक दिन में होता है। एक माह बाद रक्षाबंधन है लेकिन माल नहीं आने से इस बार व्यापारियों की राखी जहां फिकी होगी वहीं शहरवासियों को भी मनपसंद कपड़ा मिलने में मुश्किलें आएंगी। दिवाली पर भी यही स्थिति रहने की संभावना है। जीएसटी के कारण व्यापारी पशोपेश में है कि आगे व्यापार कैसे करेंगे। प्रशासन में फिलहाल कुछ मोहलत दी है लेकिन भविष्य को देखते हुए संकट के बादल व्यापारियों पर मंडरा रहे है।
साथ ही शहर में थोक और फुटकर व्यापारियों की संख्या लगभग 5 हजार है। इंदौर के अलावा उज्जैन, देवास, धार, खंडवा, खरगोन, भोपाल, जबलपुर, रतलाम आदि शहरों में भी माल जाता है। अन्य राज्यों के व्यापारी भी कई बार इंदौर से माल ले जाते है। सूरत से आने वाले माल की रोक के बाद व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है। थोक व्यापारियों की संख्या लगभग 1200 है। कपड़ा मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष हंसराज जैन ने कहा कि यदि यही हाल रहा तो व्यापार बंद करना पड़ेगा। कर्मचारियों को भी छुट्टी देना पड़ेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी। आवश्यकता हुई तो जीएसटी के विरोध में फिर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा।