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सम्मेलन के माध्यम से दिया जल को संरक्षित कर जीवन सुरक्षित करने का संदेश

aima media association सम्मेलन के माध्यम से दिया जल को संरक्षित कर जीवन सुरक्षित करने का संदेश

नई दिल्ली। मीडिया एसोसिएशन एवं आकाशवाणी नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में जल की दशा एवं दिशा पर एक सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन संसद सदस्य क्लब नार्थ एवेन्यू नई दिल्ली में किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मा0 सदस्य राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार चन्द्रमुखी देवी ने कहा कि पानी है तो संसार में चमक है, पानी है सम्पन्नता है, पानी है तो खेतों में हरियाली है, और पानी है तो चारो ओर खुशिया ही खुशियां है। उन्होनंे कहा कि आज वास्तव में आवश्यकता है इस बात पर विचार और कार्य करने की कि यदि हम आज जल का संरक्षण नहीं करेंगे तो आने वाली पीढी के कितना और कैसा जल छोड़ेंगे। इस धरती की इस चमक और खुशियों को कैसे बरकार रखने के लिए सभी का जागरूक एवं अपनी सहभागिता से आगे आना होगा।

उन्होंने कहा कि अधिकांश लोगो ने अपने घरों में आरओ वाॅटर सिंस्टम लगा रखा होगा लेकिन किसी ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि एक लीटर पानी को शुद्ध करने के लिए आरओ कितने लीटर पानी  वेस्ट करता है। यदि हम जगरूक हो तो उस वेस्ट पानी को एकत्र कर उसे घर की साफ सफाई, कपड़े धोने एवं बर्तन साफ करने में उपयोग में ला सकते है।

प्रमुख अतिथि राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्त्रोत संस्थान के निदेशक डा0 मनोज कुमार पटैरिया ने बताया कि वर्तमान समस्या में पानी एक ज्वलन्त समस्या बन गयी है हम देखते है कि अस्पतालों में अधिकांश बीमारिया दूषित पानी पीने के कारण हो रही है, स्वच्छ पानी पीने से हम अनेकों बीमारियों से दूर रह सकते है। उन्हांने बताया कि आज वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा पानी को पीने योग्य बनाने के लिए बेहतर प्रयास किये जा रहे है जिसमें सोलर प्रणाली द्वारा समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाया जा रहा है।

प्रमुख अतिथि विशेष कार्य अधिकारी महानिदेशालय आकाशवाणी नई दिल्ली मा0 राजीव कुमार शुक्ल ने कहा कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति पानी से ही हुई, पृथ्वी पर 80 प्रतिशत पानी है, मनुष्य के शरीर मंे 60 प्रतिशत पानी है, हडिडयों में 32 प्रतिशत पानी है, खून में 72 प्रतिशत पानी है, लेकिन हम फिर भी इसकी उपयोगिता को समझ नहीं  पा रहे है, बल्कि इसको दूषित और प्रदूषित करने में लगे है, जिससे आज सभी लोग विनाश के कगार पर आकर खड़े हो गये है।  उन्होंने कहा कि हमारे यहां पहाड़ है हरियाली है लेकिन सोचने की बात है कि पानी का संकट क्यों…. क्योकि पानी का दुरूपयोग हम उसके उपयोग से ज्यादा कर रहे है। आज सभी लोगो को चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित जागरूक होेने की जरूरत है जिससे वह जल कांे संरक्षित कर भविष्य को सुरक्षित कर सके।

विशिष्ट अतिथि जल प्रौद्योगिकी केन्द्र के परियोजना निदेशक डा0 मान सिंह ने कहा कि धरती पर सबसे ज्यादा जल है परन्तु सबसे कम है पीने योग्य पानी। उन्होंने कहा कि हमें स्वीकारना होगा कि पानी की इस दशा के लिए हम ही जिम्मेदार है। आज हम जितना पानी भूमि से निकाल रहे है उतना रिचार्ज नहीं कर रहे है। आने वाले 10 वर्षों में पीने योग्य पानी की उपलब्धता और कम हो जायगी।

विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्या डा0 प्रियम्वदा तोमर ने कहा कि आज हमें पानी के उपयोग से उसके संरक्षण कार्यक्रम चलाने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें लोगो में जागरूकता लानी होगी तथा बताना होगा कि धरती पर जीवन के लिए जल का संरक्षण जरूरी है। हमारे किसानों को भी सिंचाई की नई नई प्रणाली का उपयोग करना होंगा जिससे कम पानी के साथ खेतों को सीचा जा सकता है।  उन्होंने कहा कि यदि सभी लोग जागरूक होकर जल को संरक्षित करने की ठान लें और तालाबों को रिचार्ज करें तो निश्चित ही पानी की समस्या से सभी को निजात मिल सकेगी।

विशिष्ट अतिथि उर्दू अकादमी दिल्ली के  उपाध्यक्ष प्रो0 शहपर रसूल ने कहा कि हमारे 50 प्रतिशत लोग पानी की महत्ता को नहीं समझते, अगर सभी इस समस्या को समझे तो पानी की इस समस्या का हल हो सकता है।  उन्होंने कहा कि जल संकट सबसे बड़ा संकट है जो विनाश का कारण बन सकता हैं। देश में अधिकांश गांव डार्क जोन में आ चुके है।  उन्होंने कहा कि आज औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के साथ-साथ जल संरक्षण एवं वाटर रिचार्ज की ओर ध्यान देने की परम आवश्यकता है।

विशिष्ट अतिथि प्रख्यात लेखक एवं सम्पादक एनबीटीआई मा0 पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि जल हमेशा जल रहेगा, जल न तो अपनी दशा बदल रहा है और न ही दिशा, बल्कि आदमी अपनी दशा और दिशा दोनो बदल रहा है जिसका परिणाम है कि आज सभी लोग जल जैसी समस्या से जूझ रहे है।  उन्होंने कहा कि हमें जल के संरक्षण की फिक्र करनी चाहिए, हमें पहाड़ों के संरक्षण की भी फिक्र होनी चाहिए। क्योंकि दोनो का गहरा सम्बंध है। भूगर्भ दोहन भविष्य के लिए खतरनाक है इसके लिए सचेत रहना होगा तथा हमें सभी को अपने अपने सहयोग से जल को संरक्षित करना होगा।

विशिष्ट अतिथि जन संचार एवं मीडिया विशेषज्ञ मा0 इंदल सिह भदौरिया ने पानी की उपयोगिता को बताते हुए कहा कि पानी और समय का अपना विशेष सम्बंध है। उन्होंने कहा कि धरती पर संतुलन बनायें रखने को प्रकृति भी हमारा समय समय पर साथ देती है। पुराणों में भगवान राम ने भी समय को महत्व दिया था। उन्होंने कहा कि कवि घाघ ने भी अपनी रचनाओं में कहा कि है यदि वर्षा होने से पहले किसान खेतों में मेड़ तैयार कर लें तो वर्षा होने पर पानी उनमें रूक जाता है और वह खेंतों के लिए वरदान का कार्य करता है।  उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमें जल के संरक्षण पर कार्य हो रहा है पोखर में जल का संरक्षण होता था फिर उपयोग होता था। उन्होंने कहा कि जल है तो कल है।

विशिष्ट अतिथि राज्य सभा टीवी के सम्पादक अरविन्द सिंह ने कहा कि हमें अन्य देशों से प्रेरणा लेनी चहिए की जहां जल को सबसे अधिक महत्ता दी जाती है और उसके संरक्षण पर विशेष बल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हिंडन और काली नदी का पानी अत्यंत प्रदूषित है जिनकों शुद्ध बनाने के लिए अत्यंत जरूरी है।  उन्होंने कहा कि हमने पोखरों को नष्ट करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है क्योकि उनके माध्यम से जल बेहतर तौर पर संरक्षित होता था। उन्होंने कहा कि आज स्वंय को बचाने के लिए जल को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर उल्लेखनीय योगदान के लिए नीलम मल्कानियां, गुरदीप सिंह लूथर, डा0 एस0के0 आर्य, नवोदित मंडल, फिरोज नक्वी, लता सागर आदि को स्मृति चिन्ह एवं शाॅल भेंट कर सम्मालित किया गया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रताप सिंह भाटी, पदम सिंह वरूण, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता, अनिल कुमार, सफदर अब्बास काजमी आदि का विशेष सहयोग रहा।

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