देहरादून। सूबे की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अब शिक्षा के क्षेत्र में मचे भ्रष्टाचार पर नकेल कसने जा रही है। सरकार ने जांच के बाद राज्य में करीब तीन हजार से अधिक विद्यालयों को संख्या विहीन करार दिया है। जिसके बाद सरकार इन विद्यालयों को लेकर एक नया प्रस्ताव लेकर आई है। दस या इसके कम संख्या वाले सभी बेसिक और जूनियर स्कूलों का आपस में विलय कर दिया जायेगा।
इस बारे में सरकार की ओर से आदेश जारी हो गए हैं। इस आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि 1 किलोमीटर से 3 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्कूलों जिनमें मानकों से कम संख्या है उनका आपस में विलय कर दिया जायेगा। सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद शिक्षा सचिव ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने के लिए शिक्षा निदेशक को आदेश जारी कर दिया है। सरकार की ओर से इस व्यवस्था को लागू करने की प्राथमिकता जारी की गई है।
सरकार की ओर से जारी किए गए इस आदेश के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पान्डे ने कहा कि इससे आर्थिक बोझ भी कम होगा इसके साथ ही अलग-अलग स्कूलों के मद में खर्च किए जाने वाला धन एक ही स्कूल में जाने से शिक्षा के साथ गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा सकेगा। इससे स्कूलों में पर्याप्त संसाधन और शिक्षक छात्रों को मिल सकेंगे। बंद होने वाले स्कूलों के भवनों का इस्तेमाल गांव की पंचायत की ओर से होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में किया जायेगा। इन भवनों की देख-रेख पंचायत, खेल विभाग और ग्राम्य विकास देखेगा।
आंकड़ों की माने तो सूबे में करीब 2465 प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से कम है। जबकि 500 से ज्यादा जूनियर स्कूलों में भी छात्रों की संख्या का यही हाल है। जिसको देखते हुए सरकार ने इन स्कूलों का आपस में विलय करने का फैसला लिया है। इससे सरकार पर स्कूलों के मद में होने वाले आर्थिक खर्च को कम कर दिया जायेगा। इसके साथ ही स्कूलों में शिक्षकों की आमद भी बेहतर होगी। सरकार के इस फैसले से करीब 4 हजार शिक्षक प्रभावित होंगे।