अलीगढ़। देश की आजादी में अग्रणी नेता रहे सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर कर्नल निजामुद्दीन ने सोमवार को देश को अलविदा कह दिया। 117 साल के निजामुद्दीन काफी लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे और सोमवार सुबह आजमगढ़ के मुबारक में उन्होंने अंतिम सांस ली और आज उनका उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया।
कर्नल ने आजादी की लडा़ई में एक बड़ा योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कई सालों तक अपनी सेवा दी थी। निजामुद्दीन नेताजी द्वारा बनाए गए इंडिनयन नेशनल आर्मी के सदस्य थे। उनकी पत्नी का नाम अजबुनिशा है और वो 107 साल की है।
कर्नल अक्सर नेताजी के साथ बीते वक्त को याद किया करते थे और लोगों को उनसे जुड़ी कई दिलचस्प बातों को साझा किया करते थे। निजामुद्दीन उनके साथ बर्मा में साल 1943 से 1945 तक रहे और लोगों से अक्सर कहते थे कि उन्होंने 20 अगस्त 1947 को बर्मा में छितांग नदी के पास आखिरी बार नाव पर छोड़ा था और उसके बाद उनकी उनसे कभी भी मुलाकात नहीं हुई।
आजमगढ़ से भागकर ज्वाइन की थी ब्रिटिश सेना:-
इंडियन नेशनल आर्मी का सदस्य रह चुके कर्नल निजामुद्दीन ने 1942 में आजमगढ़ में सिंगापुर चले गए थे और वहां पर जाकर ब्रिटिश सेना का हिस्सा बन गए। लेकिन कुछ समय बाद नेताजी के बुलाने पर उन्होंने आजाद हिंद फौज से जुड़ गए थे।
कर्नल के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे हैं। अपने पैतृक गांव में वो अपनी पत्नी और सबसे छोटे बेटे शेख अकरम के साथ रहते थे। उनका एक बेटा सऊदी अरब में तो दूसरा मुंबई में रहता है। हालांकि उनकी 2 बेटियां भी हैं जिनकी शादी हो चुकी है और वो अपने परिवार के साथ रहती है।
2014 में पैर छूकर पीएम मोदी ने लिया था आशीर्वाद:-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान उनके पैर छूकर बनारस में आशीर्वाद लिया था। उनके निधन की खबर सुनकर उन्होंने ट्विटर पर उनको श्रद्धांजलि भी अर्पित की। पीएम मोदी ने कहा मुझे आज भी उनसे हुई अपनी मुलाकात याद है। हमारे बीच से उनका यूं जाना तकलीफदायक है। उनकी देशभक्ति, आदर्श और साहस को हमेशा याद रखेंगे जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को शक्ति दी।