देहरादून। सूबे में पर्यटन को बढाने के उद्देश्य से अब एक बार फिर पर्यटन मुख्यालय में एक बैठक का आयोजन कर कार्य प्रणाली को तेज करने और आने वाले दिनों में सूबे में होने वाले निवेशकों के सम्मेलन के पहले विभाग की तैयारियों और जीएमवीएन व केएनवीएन के विलय को लेकर आए प्रस्तावों की चर्चा की गई। इसके साथ ही एक बुद्धा सर्किट को लेकर भी एक प्रस्ताव बैठक में रखा गया।
निवेशकों को लुभाने के लिए इनवेस्टर समिट का आयोजन
साथ ही पर्यटन विभाग में आयोजित बैठक में जहां निवेशकों को लुभाने के लिए इनवेस्टर समिट का आयोजन करने की बात की जा रही है। वहीं विभाग इसे लेकर अब एक कॉन्क्लेव का आयोजन टिहरी और भीमताल में करने जा रहा है। जिसमें आने वाले निवेशकों से उनकी सहूलितयों को जानने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन जहां कुछ अलग ऐसे क्षेत्रों के चयन को लेकर सवाल सामने आए तो एक दो नाम ही सामने रखे जा सके यानी अभी तक पर्यटन विभाग ने ऐसे क्षेत्रों का पूरी तरह से चयन नहीं किया है जिनमें निवेशकों का आकर्षित करने का प्रस्ताव रखा जा सके।
बता दें कि आने वाले दिनों में पर्यटन को जब उद्योग का दर्ज मिला है। ऐसे में साफ तौर पर अभी कोई नीति ऐसी विभाग ने तैयार नहीं की है जिससे पर्यटन को सीधे उद्योग के तौर पर देखा जाए और सूबे में रोजगार सृजन के अवसर बने। हालांकि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज बार-बार सर्किटों का जिक्र करते रहे लेकिन जब सवाल साल भर पहले हुई महाभारत सर्किट को लेकर आया तो पता चला कि अब जाकर डीपीआर केन्द्र सरकार को भेजी गई है।
वहीं बीते साल दिल्ली में आयोजित फिक्की के समिट में मंत्री सतपाल महाराज ने शैव,विष्णु,महाभारत,देवी, गोत्र, आदि करीब 10 या 12 सर्किटो की रूपरेखा रखी थी। बड़े ही पुरजोर तरीके से इसे तैयार करने की बात भी कही थी। लेकिन जब आज सवालों की बौछारें सर्किटों को लेकर हुई तो केवल एक सर्किट देवी सर्किट तैयार होने की बात ही सामने आई मतलब 100 दिन चले ढाई कोस। सरकार पर्यटन को बढाने की बात करती है। योजनाएं बनती है लेकिन धरातल में आने में इतना वक्त लगता है कि योजनाएं दम तोड़ रही है।