विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लूएचओ) वैश्विक समुदाय को सुरक्षित, प्रभावी और आसान पहुंच वाली पारंपरिक औषधियां उपलब्ध कराने की अपनी वैश्विक रणनीति के तहत आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी व्यवस्था से इलाज के लिए मानदण्ड दस्तावेज विकसित कर रहा है। मानदण्ड दस्तावेजों का विकास आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच परियोजना सहयोग समझौता (पीसीए) में शामिल है।
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आपको बता दें कि तीन डब्ल्यूएचओ दस्तावेजों के लिए 17 से 19 सितंबर, 2018 तक चलने वाले डब्ल्यूएचओ कार्यकारी समूह की बैठक आज जयुपर में प्रारंभ हो गई है। प्रतिदिन चार सत्र वाले इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय ने और संयोजन राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए), जयपुर ने किया है।इस मौके पर आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुष मंत्रालय की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
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राजेश कोटेचा ने बताया कि आयुष सुविधाओं के दस्तावेज और केरल बाढ़ में आयुष द्वारा चलाई गई हाल की पुनर्वास गतिविधियों सहित अन्य गतिविधियों के दस्तावेज निर्माण में राष्ट्रीय आयुष रुग्णता तथा मानकीकृत शब्दावली इंजन (एनएएमएसटीई) का सक्रिय इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में बताया और सुझाव दिया कि डब्ल्यूएचओ इसके लिए मदद कर सकता है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ से भारत के लिए एक विशेष मॉड्यूल और एम-योगा एवं एम-आयुर्वेद इत्यादि जैसे कार्यक्रम आधारित एप्लीकेशन विकसित करने में आयुष मंत्रालय को मदद करने का आग्रह किया।
डब्ल्यूएचओ द्वारा विकसित दस्तावेज के प्रारूप को सलाहकार प्रक्रिया के जरिए 18 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 39 विशेषज्ञ समीक्षा करेंगे। इनमें आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी चिकित्सा पद्धति से 13-13 विशेषज्ञ शामिल है। गौरतलब है कि इस बैठक का उद्देश्य विशेषज्ञों द्वारा तैयार दस्तावेजों के शून्य प्रारूप की जरूरत केअनुसार समीक्षा, टिप्पणी और संशोधन करना है। इसका लक्ष्य प्रत्येक दस्तावेज की संरचना और सामग्री पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति बनाना है।