राजस्थान की सियासत किस करवट जाकर बैठेगी इसका अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है। रोज-रोज राजस्थान की बदलती राजनीति में और कितने मोड़ आएंगे
जयपुर। राजस्थान की सियासत किस करवट जाकर बैठेगी इसका अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है। रोज-रोज राजस्थान की बदलती राजनीति में और कितने मोड़ आएंगे इसके बारे में भी कुछ कहना मुश्किल है। अब इस राजनीति में कौन सा मोड़ आने वाला है। एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट की ओर से अपनी-अपनी तरफ विधायकों को खींचने की कोशिश हो रही है। इसी बीच दोनों और से खबर आ रही है कि विधायक उनके संपर्क में है। कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था पायलट खेमे में 3 विधायक हमारे खेमे में होंगे। तो वहीं सचिन पायलट के खेमें में भी 13 विधायक होने की खबर है।
वहीं इस वक्त जो भी राजस्थान की सियासत के हालात है उनको देखते हुए राज्यपाल की ओर से विधानसभा सत्र के लिए 21 दिन का नोटिस देने की बात कही गई। जिसके बाद गहलोत सरकार ने वर्तमान परिस्थितियों से राष्ट्रपति को अवगत करवाने के साथ उनसे दखल की गुहार लगाई है। गहलोत सरकार लगातार इस कोशिश में लगी हुई है कि जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाया जाए। लेकिन सत्र बिलाने से पहले ही राज्यपाल ने प्रस्ताव में कमियां निकाली थी और प्रस्ताव में संशोधन को लेकर कांग्रेस में आज चर्चा की जाएगी। सीएम आवास पर होने वाली बैठक में सचिवालय के काम काज और प्रदेश सरकार के कोरोना प्रबंधन को लेकर भी बात होगी।
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बता दें कि राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से प्रस्ताव लौnuटाने के बाद लगातार मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। इसी बीच गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि विधानसभा सत्र में देरी के लिए साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा जितनी ज्यादा देरी होगी, विधायकों को तोड़ना उतना ही आसान होगा। गहलोत ने अपने बयान में कहा कि बीजेपी का एकमात्र मकसद है कि किसी तरह भी हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए विधायकों को तोड़ा जाए।
वहीं राजस्थान में विधानसभा सत्र को बुलाए जाने को लेकर हुई तनातनी के बाद अब यूपीए सरकार में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्वनी कुमार ने भी राज्यपाल को चिट्ठी लिख सत्र बुलाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने पर संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा।