जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर की काबिलियत हांगकांग तक को टक्कर दे रही है। जिले के एक शिक्षक दिनेश पटेल ने शालू नाम का रोबोट बनाया है। यह पूरी तरह से स्वदेशी उपकरणों से बना रोबोट है। जिसकी इन दिनों खूब चर्चा हो रही है।
सोफिया से काफी बेहतर
हांगकांग में बना एक अर्धमानवीय रोबोट काफी चर्चा में रहा था, इसका नाम सोफिया रखा गया। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में बना रोबोट कई मामलों में इससे बेहतर है। इसे बनाने वाले दिनेश पटेल ने इसका नाम शालू रखा।
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हांगकांग की सोफिया रोबोट को पिछले दिनों वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बुलाया गया था। इसी के बाद दिनेश पटेल को स्वदेशी रोबोट को इस तरह की तकनीक देने का आईडिया आया। जो कई मामलों में दूसरों से बेहतर हो।
कई खूबियों से लैस है शालू रोबोट
जौनपुर के शिक्षक का बनाया हुआ रोबोट कई मामलों में काफी बेहतर है। यह 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषाओं की जानकार है। इसके साथ ही अलग-अलग कई मुद्दों पर अपनी बात भी रखती है। इसे बनाने वाले दिनेश पटेल आईआईटी मुंबई के केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर साइंस के शिक्षक हैं।
इसके निर्माण में उन्होंने पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक और उपकरणों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने बताया कि इसे बनाने में कुल 3 साल का समय लगा।शालू 9 अलग-अलग भारतीय भाषाओं को बोल सकती है। भाषाओं में उर्दू, भोजपुरी, हिंदी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलुगू, मलयालम शामिल है। शालू को आईटी मुंबई ही नहीं डीडी नेशनल में भी बुलाया जा चुका है।
मानवीय संवेदना को समझने में सक्षम
शालू रोबोट इसीलिए इतना चर्चाओं में है क्योंकि नॉर्मल जानकारी के अतिरिक्त यह मानवीय संवेदना को भी समझ सकती है। इसके साथ ही मनपसंद कविताएं और कहानियां भी सुनने की शौकीन है। कई संवेदनाएं जैसे क्रोध, हंसी को पूरी तरह से व्यक्त करने में सक्षम यह रोबोट प्रश्नोत्तरी और तथ्यात्मक सवालों के जवाब देने में भी माहिर है।