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मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया 22 साल बाद अपने सिलेबस को बदल रही

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एजेंसी, रायपुर। देश भर के मेडिकल कॉलेज को संचालित करने वाली मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) 22 साल बाद अपने सिलेबस (पाठ्यक्रम) को बदलने जा रही है। एमसीआई ने नया सिलेबस बना लिया है। ये सिलेबस 2019 के बैच के छात्रों पर लागू होगा। इसे कॉम्पेटेटिव अंडर ग्रेजुएट बेस्ड मेडिकल एजुकेशन नाम दिया गया है। सिलेबस की खास बात है छात्रों को दाखिले के बाद आधार ज्ञान (बेसिक नॉलेज) देना। यह फाउंडेशन कोर्स होगा, जो एक महीने तक चलेगा। इसमें ही छात्रों को मरीजों के प्रति व्यवहार, संवेदनाओं का पाठ पढ़ाया जाएगा।
इसकी जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि देश भर में लगातार डॉक्टर्स द्वारा मरीजों के प्रति दुर्व्यवहार के मामले रिपोर्ट हो रहे हैं, जो डॉक्टरी पेशे के लिए अच्छे नहीं हैं। इसके पीछे की वजह पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) की पढ़ाई के दौरान अस्पतालों में लगने वाली 48-48 घंटे की ड्यूटी। इसका उद्देश्य छात्रों के ध्यान को केंद्रित करना भी है। एमसीआइ के ईस्टर जोन कटक में पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के पांच प्रोफेसर-डॉक्टर्स को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया।
इन्होंने वहां प्रशिक्षण लिया और अब रायपुर में तीन दिनों तक सभी प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों में पदस्थ डॉक्टर-प्रोफेसर को नए सिलेबस को लेकर प्रशिक्षण दे रहे हैं। पांच सदस्यों में से एक डॉ. मानिक चटर्जी ने ‘नईदुनिया’ को बताया कि यह सिलेबस किताबी ज्ञान से ज्यादा प्रैक्टिकल नॉलेज पर आधारित है। इसमें ग्रुप डिस्कशन भी होंगे। रायपुर में यह प्रशिक्षण आने वाले दो दिन और चलेगा। सूत्रों के मुताबिक यह पेचीदा है, मगर यह डॉक्टर्स के व्यवहार को मरीजों के प्रति और बेहतर करेगा।

आपातकाल में प्राथमिक उपचार देना, कॉर्डियक अरेस्ट आने पर व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर वहां की स्थिति से रू-ब-रू होना, किसी गांव में जाकर वहां का रहन-सहन और बीमारियों के बारे में जानकारी जुटाना प्रमुख रूप से शामिल है। तो वहीं दूसरे राज्यों से यहां आकर पढ़ने वाले छात्रों को स्थानीय भाषा का ज्ञान देना, जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती उन्हें सीखना, कम्प्यूटर की जानकारी भी देना प्रमुख हिस्सा है।

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